उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में भाजपा की जीत आसान करने को पसीना बहाएंगे दिल्ली के नेता

 


 नई दिल्ली /  उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है। दोनों राज्यों में भाजपा का शासन है और पार्टी लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर इतिहास रचने की कोशिश में लगी हुई है। जीत की राह आसान करने के लिए दिल्ली के नेता व कार्यकर्ता भी वहां जाएंगे। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के 45 और उत्तराखंड के 20 विधानसभा क्षेत्रों में यहां के नेता चुनाव प्रबंधन की कमान संभालेंगे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व रोहिणी के विधायक विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली के अन्य नेता व कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार में अपना योगदान देंगे।  इनमें गौतम गंभीर और मनोज तिवारी जैसे नाम भी है, जिनकी देशभर में पहचान है।विजेंद्र गुप्ता के साथ दिल्ली प्रदेश भाजपा के महामंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी गुप्ता के साथ चुनावी रणनीति बनाने में सहयोग देंगे। पिछले दिनों दोनों नेता वाराणसी जाकर भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भाजपा महामंत्री तरुण चुघ सहित अन्य नेताओं के साथ मुलाकात कर चुनाव की रणनीति पर चर्चा की थी। इन नेताओं को रामपुर, मेरठ, अमरोहा, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बुलंदशहर और संभल लोकसभा में आने वाले 45 विधानसभा क्षेत्रों का दायित्व दिया गया है।वहीं, दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व महामंत्री राजेश भाटिया के नेतृत्व में दिल्ली के नेता उत्तराखंड के पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पावत और नैनीताल जिले के 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रबंधन का काम संभालेंगे। भाटिया भी पिछले दिनों देहरादून में बीएल संतोष व अन्य नेताओं के साथ बैठक में शामिल हुए थे।बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वहां का दौरा भी कर चुके हैं, इसलिए वहां दिल्ली के भाजपा नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।भाजपा नेताओं का कहना है कि अक्सर दिल्ली के कार्यकर्ता दूसरे राज्यों में होने वाले चुनाव में अपना योगदान देते हैं। इसी तरह से उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जिम्मेदारी दी जा रही है। चुनाव प्रचार से लेकर बूथ प्रबंधन तक में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अगले कुछ दिनों में दोनों राज्यों में जाने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं की टीम तैयार हो जाएगी। दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक उन्हें अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में भेजा जाएगा। मतदान तक सभी नेता वहीं रहेंगे। 

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