रिहाई के बाद डॉ. कफील की आशंका, कहा- किसी और मामले में फंसा सकती है यूपी सरकार


इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद कल रात डॉक्टर कफील को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद डॉ. कफील ने आशंका जताई कि यूपी सरकार उन्हें किसी और मामले में फंसा सकती है। इससे पहले हाईकोर्ट ने कल सुबह डॉक्टर की तुरंत रिहाई का आदेश दिया था। 


बता दें कि करीब छह माह पूर्व गोरखपुर के डॉ. कफील को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मथुरा जेल में बंद कर दिया था। इस आरोप में जमानत न होने पर अलीगढ़ के डीएम ने उन पर एनएसए लगाया था। इसके खिलाफ उनके परिजन हाईकोर्ट पहुंचे थे। 
सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं : फैजुल हसन
एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि डॉ. कफील की आजादी न्याय की जीत है। सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि लोकतंत्र का जिंदा रहना बहुत जरूरी है। हाईकोर्ट के फैसले से प्रदेश सरकार की तानाशाही पर भी प्रहार हुआ है। अब एक नए हौसले के साथ सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ फिर से लड़ाई लड़ी जाएगी। जिन लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने पर जेल में डाल दिया गया था उनके लिए एक संघर्ष का नया अध्याय शुरू होगा।    


कब क्या हुआ था 
12 दिसंबर 2019 को शाम 5 बजे गोरखपुर के थाना राजघाट में बसंतपुर के रहने वाले 46 वर्षीय डॉ. कफील ने एएमयू के बॉबे सैयद पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ छात्रों के बीच अपना संबोधन किया। इससे पहले गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना को लेकर डॉ. कफील चर्चा में आ चुके थे। 
13 दिसंबर 2019 को एएमयू में 10000 से अधिक छात्रों ने प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रशासन ने किसी तरह स्थिति को नियंत्रित किया। 
15 दिसंबर 2019 को हजारों छात्र एक बार फिर से प्रदर्शन करने के लिए एएमयू कैंपस से शहर की ओर कूच करने लगे। प्रदर्शन हिंसक हो गया और इसमें कई छात्र, पुलिसकर्मी, पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी घायल हुए। 
दिसंबर महीने के अंत में थाना सिविल लाइन में डॉ. कफील के खिलाफ लोक व्यवस्था भंग करने, भड़काऊ संबोधन करने, कानून और व्यवस्था भंग करने आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया। 
डॉ. कफील को पुलिस मुंबई से गिरफ्तार करके अलीगढ़ लाई। अदालत में पेश किया गया। फिर मथुरा जेल भेज दिया गया। 
15 फरवरी को डॉ. कफील की मथुरा जेल से रिहाई होने वाली थी। लेकिन 14 फरवरी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई कर दी गई। इसके बाद प्रत्येक 3 महीने की अवधि पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई को बढ़ाया जाता रहा।


source: Agency news


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