शहीदों के बलिदान से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में जुटें: सतपाल महाराज

 


देहरादून :  प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद सैनिकों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की और समस्त देशवासियों को इस गौरवशाली दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस अवसर को न केवल राष्ट्र के गौरव का प्रतीक बताया, बल्कि इसे देश की सैन्य परंपरा, अनुशासन और बलिदान की जीवंत मिसाल के रूप में भी रेखांकित किया।

सतपाल महाराज ने कहा कि कारगिल विजय न केवल एक सैन्य सफलता थी, बल्कि यह हमारे देश के जांबाज सैनिकों के अदम्य साहस, अनुशासन, अद्वितीय संयम और मातृभूमि के प्रति उनकी निस्वार्थ भक्ति का प्रतीक है। यह विजय गाथा हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है और हर वर्ष 26 जुलाई को हम उन महान आत्माओं को याद करते हैं, जिन्होंने देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि राष्ट्र सर्वप्रथम है और हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह देशहित को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाए।

उन्होंने कहा कि कारगिल की ऊँचाईयों पर जिस तरह से हमारे वीर जवानों ने विषम परिस्थितियों में दुश्मन से लोहा लिया, वह मानव साहस और रणनीतिक कुशलता का अद्वितीय उदाहरण है। उन वीरों के भीतर न तो भय था, न हिचकिचाहट। उनकी दृष्टि केवल एक लक्ष्य पर केंद्रित थी—भारतीय तिरंगे को दुर्गम चोटियों पर फहराना और देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना। उन वीर शहीदों की स्मृति में कारगिल विजय दिवस मनाना न केवल हमारा कर्तव्य है, बल्कि यह उन मूल्यों की पुनः स्थापना भी है जिन पर हमारा राष्ट्र टिका है।

श्री महाराज ने आगे कहा कि कारगिल के नायक केवल सैनिक नहीं, बल्कि वे राष्ट्र की आत्मा के प्रतिनिधि हैं। उनकी बहादुरी में हम न केवल सैन्य विजय को देखते हैं, बल्कि उस संस्कृति और मूल्य प्रणाली को भी पहचानते हैं जो भारत को विश्व में एक विशेष स्थान दिलाती है। आज का दिन केवल विजय की खुशी मनाने का नहीं है, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण का दिन है कि हम अपने देश के प्रति कितने सजग और समर्पित हैं। यह दिन हमें यह सोचने के लिए विवश करता है कि क्या हम भी अपने-अपने क्षेत्र में उसी समर्पण और निष्ठा से कार्य कर रहे हैं, जैसी निष्ठा से कारगिल के जवानों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।

उन्होंने यह भी कहा कि आज जब हम स्वतंत्र भारत में सुरक्षित जीवन जी रहे हैं, तो इसके पीछे उन्हीं वीर सपूतों का त्याग है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें यह स्वतंत्रता सुनिश्चित की है। उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना और उनके बलिदान की स्मृति को जीवंत रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है। श्री महाराज ने युवाओं से आह्वान किया कि वे कारगिल के शहीदों से प्रेरणा लें, देश के प्रति समर्पित रहें और अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाएं। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन वीरों को जिन्होंने अपने कल को दांव पर लगाकर हमारा आज सुरक्षित किया।

सतपाल महाराज ने यह भी कहा कि भारत की सेना केवल एक सुरक्षा बल नहीं है, वह देश की अस्मिता की रक्षक है। उसकी वीरता, अनुशासन और समर्पण को शब्दों में बाँधना कठिन है। हमें गर्व है कि हमारे देश में ऐसी सेना है जो हर परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तत्पर रहती है। कारगिल विजय दिवस पर उन्हें सलाम करना हम सबका सौभाग्य है। यह दिन हमें केवल देशभक्ति की भावना नहीं देता, बल्कि यह हमें हमारी जिम्मेदारियों की भी याद दिलाता है—राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनने की, सच्चाई और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की।

इस प्रकार, कारगिल विजय दिवस केवल एक तारीख नहीं है, यह भारत के उस स्वाभिमान, साहस और बलिदान का प्रतीक है जो आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाता रहेगा कि मातृभूमि की रक्षा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। यह हमें एकजुट होकर अपने देश को और भी सशक्त, सुरक्षित और गौरवशाली बनाने की प्रेरणा देता है।

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