वीरता की मिसाल बना कारगिल युद्ध, आज भी प्रेरणा हैं उसके शूरवीर
देहरादून: कारगिल विजय दिवस के अवसर पर उत्तराखंड में वीरता और बलिदान की एक प्रेरणादायक गाथा को याद करते हुए शौर्य दिवस श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया। राजधानी देहरादून स्थित ऐतिहासिक गांधी पार्क में आयोजित इस समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। समारोह में शहीदों के परिजन भी उपस्थित रहे, जिनका सम्मान कर राज्य सरकार ने यह संदेश दिया कि देश के लिए बलिदान देने वालों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
मुख्यमंत्री ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि कारगिल विजय दिवस न केवल भारतीय सेना की अद्भुत वीरता और साहस का प्रतीक है, बल्कि यह राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च समर्पण और बलिदान की भावना को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में, बर्फीले और दुर्गम पहाड़ी इलाकों में, दुश्मन के खिलाफ साहसिक विजय प्राप्त की, जिससे समस्त देशवासियों का सिर गर्व से ऊँचा हो गया।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने भी इस अवसर पर देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध भारतीय सेना के अद्वितीय साहस, अदम्य शौर्य और उच्चतम रणनीतिक कौशल का परिचायक है। राज्यपाल ने इस युद्ध को भारत के सैन्य इतिहास की एक ऐतिहासिक विजय बताते हुए कहा कि हमारे बहादुर जवानों ने बेहद कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी अतुलनीय पराक्रम का परिचय दिया और दुश्मन को करारा जवाब देकर देश की सीमाओं की रक्षा की।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि इस विजय अभियान में देश के कोने-कोने से आए सैनिकों ने हिस्सा लिया, जिनमें उत्तराखंड के अनेक वीर सपूतों ने भी अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हमेशा से वीरभूमि रहा है, जहाँ की धरती ने देश को अनेक वीर सैनिक दिए हैं। राज्य के जांबाज सपूतों ने देश की रक्षा में अद्वितीय साहस का परिचय देते हुए राष्ट्र की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर किए। यह बलिदान आज की और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का अक्षय स्रोत है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय सेना ने केवल युद्धक्षेत्र में ही नहीं, बल्कि आपदा के समय, शांति मिशनों में और सीमाओं की सुरक्षा में हर बार अपने अद्वितीय शौर्य और पराक्रम से देश का गौरव बढ़ाया है। कारगिल विजय न केवल सैन्य जीत है, बल्कि यह पूरे देश की एकता, अखंडता और आत्मबल की जीत भी है। यह विजय उन मूल्यों की जीत है जिन पर यह राष्ट्र खड़ा है — साहस, बलिदान, देशभक्ति और समर्पण।
उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध के वीरों का बलिदान राष्ट्र की स्मृति में सदैव अमर रहेगा। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन वीरों की गाथा को अगली पीढ़ी तक पहुँचाएँ और उनके सपनों के भारत के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएँ। ऐसे आयोजनों के माध्यम से न केवल शहीदों को सम्मान दिया जाता है, बल्कि यह राष्ट्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी मज़बूत करता है।
कारगिल विजय दिवस का यह आयोजन एक भावनात्मक और गर्वपूर्ण स्मरण बन गया, जिसमें राज्य के हर नागरिक ने वीर शहीदों को याद किया, उनके परिवारों के त्याग को सराहा और देश की सुरक्षा में लगे हर सैनिक को नमन किया। यह दिन हमें एक बार फिर याद दिलाता है कि देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिक ही सच्चे नायक हैं, और उनका बलिदान भारत की आत्मा में सदा अमर रहेगा।
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