थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़ते तनाव ने लिया सैन्य संघर्ष का रूप

 


आज की वैश्विक परिस्थितियाँ एक दशक पहले की तुलना में कहीं अधिक अस्थिर और ख़तरनाक होती जा रही हैं। जहां एक ओर लंबे समय तक शांत रहे क्षेत्रों में फिर से संघर्ष की चिंगारियाँ दिखाई दे रही हैं, वहीं कई पुराने विवाद फिर से सुलगने लगे हैं। वर्ष 2025 तक विश्व ने दो छोटे लेकिन अत्यंत तीव्र युद्ध देखे हैं, जिनमें से एक भारत और पाकिस्तान जैसे दो परमाणु संपन्न देशों के बीच हुआ। इन युद्धों ने न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक शांति पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुआ युद्ध इस दशक की सबसे चिंताजनक घटनाओं में से एक बन गया है। चार दिनों तक चले इस युद्ध में दोनों देशों ने एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों पर भीषण हमले किए, लड़ाकू विमानों पर गोलीबारी की गई और सैकड़ों ड्रोन और क्रूज़ मिसाइलें दागी गईं। यह युद्ध एक अत्यंत खतरनाक मोड़ ले रहा था, जब अमेरिकी मध्यस्थता ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम कराने में अहम भूमिका निभाई और एक संभावित परमाणु टकराव को रोका।

वहीं दक्षिण-पूर्व एशिया में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद एक बार फिर हिंसक रूप ले चुका है। दोनों देशों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद के बावजूद पिछले कुछ वर्षों में शांति बनी हुई थी, लेकिन अब यह विवाद एक बार फिर सशस्त्र संघर्ष में बदल गया है। शुक्रवार को सीमा पर हुई भारी गोलाबारी में कम से कम 14 लोगों की जान गई है, जिनमें अधिकतर आम नागरिक शामिल हैं। हवाई हमलों, तोपों और रॉकेट से हुए हमलों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

थाईलैंड के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बृहस्पतिवार को सीमा के कम से कम छह इलाकों में झड़पें हुईं, जिनमें प्राचीन ता मुएन थॉम मंदिर के निकट झड़पें भी शामिल थीं। इससे पहले एक बारूदी सुरंग विस्फोट में थाईलैंड के पांच सैनिक घायल हो गए थे। इसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और अपने देश में कंबोडिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया। यह कदम दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में आई गंभीर दरार को दर्शाता है।

कंबोडिया के ओड्डार मींचे प्रांत में तैनात जनरल खोव ली के अनुसार, शुक्रवार सुबह मंदिर के पास फिर से झड़पें शुरू हो गईं और धमाकों की आवाजें दूर-दूर तक सुनाई दीं। उन्होंने यह भी बताया कि झड़पों में कम से कम चार नागरिक घायल हुए हैं और सीमा से लगे गांवों से 4,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। यह पहली बार है जब कंबोडियाई पक्ष ने अपनी ओर से हताहतों की पुष्टि की है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के ज़रिए समस्या का समाधान निकालने की अपील की है। उन्होंने ज़ोर दिया कि संघर्ष का समाधान सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि संवाद के माध्यम से ही संभव है। लेकिन ज़मीनी हालात किसी और ही दिशा की ओर इशारा कर रहे हैं।

थाईलैंड ने कंबोडिया पर रूस निर्मित नई बारूदी सुरंगें बिछाने का आरोप लगाया है, जबकि कंबोडिया ने इन आरोपों को "निराधार" बताते हुए खारिज कर दिया है। कंबोडियाई पक्ष का कहना है कि हालिया विस्फोट पुराने संघर्षों से बचे हथियारों की वजह से हुए हैं। इसके अलावा कंबोडिया ने थाईलैंड द्वारा किए गए हवाई हमलों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के समीप किए गए बताते हुए गंभीर आपत्ति जताई है और अंतरराष्ट्रीय कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

कंबोडिया के संस्कृति मंत्रालय ने साफ कहा है कि प्रीह विहियर मंदिर "कम्बोडियाई लोगों की ऐतिहासिक विरासत" है और उस पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, थाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता निकोर्न्डेज बालनकुरा ने दावा किया कि थाईलैंड ने जो भी कार्रवाई की वह आत्मरक्षा में की गई और लक्ष्य केवल सैन्य ठिकाने थे, न कि नागरिक या सांस्कृतिक स्थल।

इस टकराव ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विवाद, यदि समय रहते हल न किए जाएं, तो वे आधुनिक हथियारों और रणनीति के साथ घातक रूप ले सकते हैं। विश्व के अन्य हिस्सों में भी जिस प्रकार के तनाव देखे जा रहे हैं, वे संकेत देते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को अब और अधिक सक्रिय और संवेदनशील होना होगा। कूटनीतिक प्रयासों की विफलता का अर्थ केवल राजनीतिक नुकसान नहीं, बल्कि आम नागरिकों की जानमाल का भारी नुकसान भी है।

जहां एक ओर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ शांति बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं, वहीं जमीनी स्तर पर संघर्ष की आग भड़कती जा रही है। भारत-पाक युद्ध हो या थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद, ये घटनाएँ बताती हैं कि वैश्विक व्यवस्था को शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए पुनः आत्ममंथन करना होगा। वर्ना, आने वाले वर्षों में ऐसे संघर्ष और व्यापक स्तर पर हिंसा का रूप ले सकते हैं, जिसके दुष्परिणाम पूरे विश्व को भुगतने पड़ेंगे।

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