पर्यटन से लेकर पॉलीहाउस तक, हर योजना के ‘आउटकम’ पर रहेगी सरकार की नजर

 


देहरादून:  मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने गुरुवार को सचिवालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में राज्य के पूंजीगत व्यय, केंद्र सहायतित एवं वाह्य सहायतित परियोजनाओं, नाबार्ड योजनाओं, साथ ही केपीआई (की परफॉर्मेंस इंडीकेटर) और केओआई (की आउटकम इंडीकेटर) की समीक्षा की। बैठक में 12 विभागों को शामिल किया गया, जिनसे संबंधित परियोजनाओं की प्रगति पर विस्तृत चर्चा हुई।

बैठक में बताया गया कि पूंजीगत व्यय के लिए कुल ₹14,763 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिसमें से अब तक ₹2,215 करोड़ (15 प्रतिशत) की राशि जारी की जा चुकी है और ₹1,049 करोड़ (7.11 प्रतिशत) की राशि व्यय की गई है। इस पर मुख्य सचिव ने चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि सितंबर माह तक पूंजीगत बजट का कम से कम 50 प्रतिशत व्यय सुनिश्चित किया जाए। साथ ही उन्होंने 15 अगस्त तक सभी प्रस्ताव भेजे जाने की समयसीमा तय की। उन्होंने कहा कि लक्ष्यों को समयबद्ध रूप से प्राप्त करने के लिए नियमित मॉनिटरिंग की जाए और प्रत्येक विभाग अपने सचिव व विभागाध्यक्षों की अध्यक्षता में पाक्षिक बैठकें आयोजित करे।

मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री घोषणाओं को पूंजीगत व्यय में प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि विभाग अपने कार्यों के केवल व्यय तक सीमित न रहें, बल्कि उसकी परिणति यानी आउटकम पर भी ध्यान दें। उदाहरण स्वरूप उन्होंने पर्यटन विभाग को सुझाव दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि किए गए व्यय से विदेशी पर्यटकों की संख्या में कितनी वृद्धि हुई या पर्यटकों के औसत ठहराव में कितना इज़ाफ़ा हुआ।

उद्यान विभाग को कोल्ड चेन और ऑफ सीजन उत्पादन पर फोकस करने के निर्देश दिए गए। पॉलीहाउस परियोजनाओं में तेजी लाने और वैल्यू एडेड उत्पादों एवं फूड प्रोसेसिंग परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की बात भी कही गई। कृषि विभाग को बायो फेंसिंग और चेन लिंक फेंसिंग की गाइडलाइन शीघ्र तैयार करने तथा इनके लिए अलग हेड खोलने के निर्देश दिए गए, जिसमें ₹200 करोड़ का प्रावधान किया जाएगा। इस राशि को वर्तमान वित्तीय वर्ष के सप्लीमेंट्री बजट में भी शामिल करने को कहा गया। ऐसे स्थानों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए जहाँ मानव-वन्यजीव संघर्ष अधिक हो और फसल क्षति ज्यादा हो रही हो।

दुग्ध विकास विभाग को ‘आंचल’ ब्रांड के डेरी उत्पादों को बढ़ावा देने को कहा गया। वहीं गन्ना विकास विभाग को निर्देश दिए गए कि चीनी मिलों का निरीक्षण कर मशीनों की मरम्मत और रखरखाव समय पर पूर्ण किया जाए ताकि मिलों में उत्पादन कार्य तय समय पर शुरू हो सके।

बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव राधिका झा, दिलीप जावलकर, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, वी. षणमुगम, धीराज गर्ब्याल, श्रीधर बाबू अद्दांकी, अपर सचिव हिमांशु खुराना, मनमोहन मैनाली सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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