समाजवादी परिवार के दिल मिले पर नहीं मिटी दलों की दूरी

 



इटावा/ आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच होली पर समाजवादी परिवार में दिलों की दरार तो कुछ कम हुई, लेकिन दलों में बरकरार है। होली पर एक मंच पर आए अखिलेश ने शिवपाल के पैर तो छुए लेकिन, नारेबाजी में चाचा का नाम जुड़ने पर नाराज हो गए।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, पूर्व सांसद पत्नी डिंपल यादव संग होली मनाने सैफई अपनी कोठी पर परिवार के साथ आए थे। अखिलेश के कुछ देर बाद मुलायम सिंह भी कोठी पहुंचे। होलिका दहन के दिन मुलायम सिंह ने बेटे अखिलेश, पूर्व सांसद भतीजे धर्मेंद्र, पूर्व सांसद पौत्र तेज प्रताप के साथ कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं दीं। मुलायम और अखिलेश के निशाने पर भाजपा की प्रदेश और केंद्र की सरकारें रहीं। अखिलेश ने सैफई मेडिकल कॉलेज और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के जरिये यादवलैंड की नब्ज पर हाथ रखा।  होली के दिन अखिलेश के मंच पर चाचा रामगोपाल और शिवलाल भी पहुंचे। होली के इस मंच पर अखिलेश ने शिवपाल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। चाचा शिवपाल ने भतीजे को आशीर्वाद दिया। साथ ही बड़े भाई रामगोपाल से शिवपाल ने आशीर्वाद भी लिया, लेकिन शिवपाल से रामगोपाल व अखिलेश नजरें फेरे रहे। शिवपाल के पहुंचने के कुछ देर बाद मुलायम सिंह मंच से उठकर चले गए। इसके बाद फिर अखिलेश ने माइक संभाला। अखिलेश हर शब्द के बाद हम समाजवादी लोग बोल रहे थे। उनके इस संबोधन और शिवपाल की मौजूदगी से उत्साही कार्यकर्ता चाचा-भतीजा जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। नारेबाजी में अपने साथ चाचा का नाम जुड़ने से अखिलेश खफा हो गए।अखिलेश ने कहा मर्यादा में रहो, अगर इस तरह किया तो अगली बार से होली मनाने यहां नहीं आऊंगा। उन्होंने कहा कि त्योहार अपनी जगह है राजनीति अपनी जगह। अखिलेश के इन शब्दों से सपा और प्रसपा के संभावित गठबंधन की संभावनाओं पर विराम लगता दिख रहा है। शिवपाल भले बार-बार सपा से गठबंधन की बात कह रहे हैं, लेकिन सपा अध्यक्ष के मन में प्रसपा के लिए कोई जगह नहीं है।मंच पर शिवपाल के भाव तो नरम थे, लेकिन अखिलेश पसीजते नहीं दिखे। अखिलेश के संबोधन के समय शिवपाल की नजर उन्हीं पर टिकी रहीं, लेकिन अखिलेश ने न प्रसपा के लिए एक भी शब्द बोला और न ही शिवपाल की ओर मुखातिब ही हुए। शिवपाल के पैर छूते समय भी अखिलेश एक हाथ में माइक पकड़े रहे, जबकि रामगोपाल का अभिवादन पैर छूने के साथ दोनों हाथ जोड़कर किया। कार्यक्रम के बाद बिना बातचीत शिवपाल और अखिलेश अपने-अपने रास्ते चले गए।


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