कांग्रेस के तल्ख तेवरों से हंगामेदार रहेगा विधानसभा सत्र



कोरोना के साये में 21 दिसंबर से दूसरी बार होने जा रहे विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने की तैयारियों में कांग्रेस इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। बीते 23 सितंबर को एक दिनी सत्र के दौरान सदन के बाहर पार्टी ने प्रदर्शन किया।




 


देहरादून /  कोरोना के साये में 21 दिसंबर से दूसरी बार होने जा रहे विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने की तैयारियों में कांग्रेस इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। बीते 23 सितंबर को एक दिनी सत्र के दौरान सदन के बाहर पार्टी ने प्रदर्शन किया, लेकिन सदन के भीतर मुद्दों को धार देने में पार्टी चूक गई थी। लिहाजा कांग्रेस के तल्ख तेवरों के चलते मौजूदा तीन दिनी सत्र हंगामेदार रहने के आसार हैं।


कोरोना संकट काल में बीते सितंबर माह में हुए एक दिनी सत्र के दौरान कांग्रेस को भी चुनौतियों से जूझना पड़ा था। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, विधायक हरीश धामी व उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा कोरोना संक्रमण से पीड़ित थे। विधानसभा सत्र में न ही प्रश्नकाल हुआ और न ही कार्य स्थगन के प्रस्तावों पर चर्चा। विपक्ष से लेकर सत्तापक्ष के विधायकों के सवाल भी सिर्फ लिखित में लिए गए थे। कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, ऐसे में सत्र को पुराने तर्ज पर संचालित करने की तैयारी की जा रही है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल इसकी पुष्टि कर चुके हैं।



 

कांग्रेस ने इस बार सत्र के दौरान खुद को मुस्तैद दिखाने की तैयारी में है। इसकी बड़ी वजह अगला विधानसभा चुनाव के लिए कम वक्त बचना भी है। पार्टी ऐसे मुद्दों को चुन रही है, जिन्हें लेकर जनता में रोष है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने इसके संकेत दिए हैं।


पिछले दिनों खासतौर पर कोरोना काल में जो मुद्दे सरकार के लिए परेशानी का सबब बने हैं, उन्हें सदन में उठाने की पूरी तैयारी है। अल्मोड़ा विधायक पर लगे यौन उत्पीडऩ के आरोपों पर पार्टी फिर मुखर होने की तैयारी में है। वहीं बाल विकास एवं महिला सशक्तीकरण राज्यमंत्री और निदेशक के बीच विवाद को पार्टी मुद्दा बनाएगी। प्रीतम सिंह ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान जनता के सीने पर कई घाव लगे हैं, इनका हिसाब सरकार से लिया जाएगा।




पूर्व सीएम हरीश रावत भी बनाएंगे दबाव



सरकार को दबाव में रखने में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत कसर नहीं छोड़ते। विधानसभा सत्र के दौरान हरीश रावत सरकार की परेशानी को बढ़ाने की कोशिश करते दिखेंगे। पिछले विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने केंद्रीय कृषि विधेयकों के खिलाफ मौन व्रत किया था।


 


Sources:Agency News



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