एक्सक्लूसिव: ई-कचरे से बनी है ये अनोखी कैंटीन, करीब एक लाख खराब डीवीडी और सीडी से तैयार की गई छत


सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) में उत्तराखंड की पहली ऐसी कैंटीन तैयार की गई है जो कि पूरी तरह से ई-कचरे से बनी हुई है। इसमें निष्प्रयोज्य कंप्यूटर का उपयोग किया गया है और खराब बैटरी से बाउंड्रीवॉल बनाई गई है। देहरादून आईटी पार्क स्थित आईटीडीए में पर्यावरण के लिए सबसे खतरनाक माने जाने वाले ई-कचरे का सबसे बेहतर उपयोग किया गया है।कई महीने की मेहनत के बाद आईटीडीए के दफ्तर परिसर में यह कैंटीन तैयार की गई है। इसकी छत तैयार करने में करीब एक लाख खराब डीवीडी और सीडी का उपयोग किया गया है। दूर से देखने पर यह छत रंगीन नजर आती है। इसी प्रकार, कंप्यूटर के मॉनिटर का उपयोग करके कैंटीन के भीतर स्टॉल बनाया गया है। छत पर पंखों के बजाय सीपीयू में इस्तेमाल होने वाले कूलिंग फैन को जोड़कर बड़ा पंखा बनाया गया है।कैंटीन की चारदीवारी भी खराब हुई बैटरियों से बनाई गई है। यहां टेबल में सीपीयू के मदर बोर्ड से जुड़े खराब पार्ट्स लगाए गए हैं। इसी प्रकार बैठने के लिए भी सीपीयू और दूसरे कंप्यूटर पार्ट्स की बॉडी का इस्तेमाल किया गया है। आईटीडीए का यह प्रयास प्रदेश में ई-कचरे को पर्यावरण में फैलने से बचाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।आईटीडीए ने फरवरी-मार्च में ई-कचरे के निस्तारण को लेकर प्रदेशभर से सुझाव भी मांगे थे। करीब 60 लोगों ने ई-कचरे के निस्तारण के सुझाव भेजे थे। ई-कचरा हमारे लिए इसलिए भी खतरनाक है कि इससे कैंसर का कारण बनने वाले कैडमियम, क्रोमियम, मर्करी जैसे हानिकारक रसायन निकलते हैं। इस लिहाज से यह कचरा सामान्य जैविक कचरे से भी अधिक खतरनाक है।गति फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बताया कि दून में ई-वेस्ट की स्थिति जानने के लिए मोबाइल कंपनियों के 14 अधिकृत केंद्रों का दौरा किया गया था। इसके साथ ही 130 से अधिक लोगों से बातचीत की गई थी। इसमें यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि दून में ई-कचरा नियम-2016 का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है। पता चला कि 94 प्रतिशत मोबाइल डीलरों के पास ई-कचरे के निस्तारण के लिए अलग कूड़ेदान भी नहीं है, जबकि नियम 7(1) में इसका स्पष्ट प्रावधान किया गया है।वहीं, 88 प्रतिशत ई-कचरा नियम-2016 की जानकारी तक नहीं थी। इसी तरह 63 प्रतिशत डीलर ऐसे मिले, जिन्हें ई-वेस्ट शब्द तक की जानकारी नहीं थी। नौटियाल का कहना है कि ई-कचरे के निस्तारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कलेक्शन सेंटर बनाए हैं जो कि इस दिशा में बेहतर कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से कोविड-19 काल में मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ा है, वैसे ही ई-कचरे के बढ़ने की संभावनाएं भी प्रबल हो गई हैं।ई-कचरे का निस्तारण सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए हमने प्रदेशभर से सुझाव लेने के बाद ई-कचरे से कैंटीन तैयार की है। इसे बनाने का मकसद यह है कि प्रदेशभर में लोगों को ई-कचरे के इस तरह से निस्तारण की सीख मिले। निश्चित तौर पर इससे एक नई शुरुआत होगी। 



- अमित सिन्हा, निदेशक, आईटीडीए


 


Sources:AmarUjala


 


 


 


 


 


 


 


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