गांव में विकास की जगह लूट का खेल, ग्राम प्रधान व सचिव पर मिलीभगत के गंभीर आरोप
बदायूं: ग्राम अंगथरा में विकास कार्यों की आड़ में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर यह उजागर हुआ है कि ग्राम पंचायत द्वारा कराए गए अनेक निर्माण कार्यों में व्यापक वित्तीय गड़बड़ियां हुई हैं। इन कार्यों में न केवल सरकारी धन का अत्यधिक व्यय दर्शाया गया है, बल्कि बिल-वाउचर और निर्माण की वास्तविकता के बीच भी भारी अंतर पाया गया है। अब यह पूरा मामला जांच के दायरे में आ गया है और ग्रामीणों ने संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
सबसे पहले ग्राम के असकीन के घर से ईदगाह तक बनाई गई सीसी रोड पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इस एक ही सीसी रोड को तीन अलग-अलग मदों में दर्शाया गया है, जिससे व्यय को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है। न केवल इसकी नाप कम है, बल्कि खर्च की गई राशि भी संदिग्ध रूप से अधिक है। उल्लेखनीय है कि इस कार्य से संबंधित कोई भी बिल या वाउचर उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, जिससे इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
दूसरे बिंदु में प्राथमिक विद्यालय परिसर में कराए गए टाइल्स निर्माण कार्य का भी उल्लेख है, जिसके लिए खर्च दिखाया गया है लेकिन संबंधित बिल और वाउचर की अनुपलब्धता इस कार्य को भी जांच योग्य बनाती है। इसी तरह तीसरे बिंदु में हैंडपंपों के रिवोर कार्य में भी अत्यधिक खर्च दिखाया गया है जबकि इससे संबंधित कोई वित्तीय विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है।
पंचायत घर में कराए गए समर सेबिल कार्य में भी इसी तरह की अनियमितता देखने को मिलती है। कार्य तो दर्शाया गया है, लेकिन इसके लिए खर्च की गई धनराशि का कोई प्रमाण जैसे बिल या वाउचर ग्राम पंचायत द्वारा नहीं दिया गया।
एक और गंभीर मामला सामुदायिक सोकपिट गड्ढों के निर्माण को लेकर सामने आया है। सूचना रिपोर्ट में 24 सोकपिट दर्शाए गए हैं, परंतु मौके पर इतने गड्ढे मौजूद नहीं हैं। यह सीधा-सीधा सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला प्रतीत होता है, खासकर तब जब संबंधित निर्माण कार्यों के लिए भी कोई वैध बिल और वाउचर उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।
आरआरसी सेंटर के निर्माण में भी व्यय की गई धनराशि को लेकर गंभीर आपत्तियां दर्ज की गई हैं। मजदूरी और सामग्री खरीद के लिए जो राशि दर्शायी गई है, वह यथार्थता से बहुत अधिक प्रतीत होती है। इससे संदेह होता है कि इस कार्य में भी लागत को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर पेश किया गया है, जो कि जांच के लिए पर्याप्त आधार प्रदान करता है।
सबसे गंभीर आरोप सातवें बिंदु में सामने आते हैं, जहां सामुदायिक वर्मी कम्पोस्ट पिट, नाडेप खाद गड्ढे और सामुदायिक खाद निर्माण को लेकर कहा गया है कि ये निर्माण कार्य निजी भूमि—ग्राम प्रधान या उनके परिवार की भूमि—पर कराए गए हैं, जबकि यह स्पष्ट निर्देश है कि ऐसे निर्माण सरकारी भूमि या ग्राम समाज की भूमि पर होने चाहिए। यह न केवल प्रशासनिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है।
डब्लूएसपी और नाला निर्माण कार्यों में भी अत्यधिक राशि का व्यय दिखाया गया है। इससे संबंधित वित्तीय दस्तावेजों की कमी और व्यय का औचित्यहीन होना इसे भी जांच के अंतर्गत लाता है। साथ ही गांव में निर्मित नाली जाल से जुड़ी जानकारी जैसे उनकी संख्या, स्थान और खर्च की गई राशि से संबंधित दस्तावेज भी अनुपलब्ध हैं। यह दर्शाता है कि ग्राम पंचायत द्वारा की गई विकास गतिविधियों की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
इन तमाम बिंदुओं के मद्देनज़र ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने संबंधित उच्चाधिकारियों से मांग की है कि वे इस पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराएं। यदि जांच में इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह केवल ग्राम अंगथरा ही नहीं, बल्कि अन्य ग्राम पंचायतों के लिए भी एक चेतावनी होगी, जहां विकास कार्यों की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। समाज के व्यापक हित और सरकारी धन के उचित उपयोग के लिए यह आवश्यक है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए ठोस तंत्र विकसित किया जाए।
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