उत्तराखंड में लोकतंत्र रक्षा आंदोलन की गूंज, युवाओं को जानना होगा इतिहास

 


देहरादून: केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव के उत्तराखंड आगमन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य के वन संबंधी मामलों का त्वरित निस्तारण किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड को केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता प्राथमिकता के आधार पर प्राप्त हो रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकतंत्र सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें हमारे महानायक बताया। उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय था, जो एक परिवार की तानाशाही और हठधर्मिता का परिणाम था। उस दौर में भारतीय संसद को बंधक बना लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप थोप दी गई और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाते हुए नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया गया। उस समय सत्ता के नशे में चूर तत्कालीन सरकार ने विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और लोकतंत्र की आवाज उठाने वाले हर व्यक्ति को क्रूरता से दबाने का काम किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र रक्षकों को नमन करते हुए यह स्वीकार करना चाहिए कि उन्होंने जेलों की कालकोठरियों को तपोभूमि बना दिया और लोकतंत्र के दीप को बुझने नहीं दिया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण, नानाजी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस, चंद्रशेखर सहित अनेक नेताओं ने इस जनआंदोलन को दिशा दी। अटल जी ने कविताओं के माध्यम से युवाओं को प्रेरित किया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तथा जनसंघ समेत अनेक संगठनों ने लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए देशव्यापी आंदोलन चलाया। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे यह आंदोलन एक राष्ट्रव्यापी जनक्रांति बन गया।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के लोकतंत्र सेनानियों का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यहां के अनेक सपूतों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अदम्य साहस दिखाया। बागेश्वर के चंद्र सिंह राठौर ने शिक्षक रहते हुए छात्रों में लोकतंत्र के प्रति आस्था जगाई और इसके लिए यातनाएं झेलीं। पौड़ी के गोविंद राम ढींगरा को संघ से जुड़ाव के चलते जेल में डाला गया। राज्य के सभी जिलों में ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं जिन्होंने लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया।

मुख्यमंत्री ने युवाओं से अपील की कि वे आपातकाल के इतिहास को जानें और समझें, ताकि लोकतंत्र की कीमत का एहसास हो सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं आपातकाल के दौरान भूमिगत रहकर लोकतंत्र की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाने की शुरुआत की ताकि युवा पीढ़ी लोकतंत्र पर हुए उस हमले को जान सके। प्रधानमंत्री ने आपातकाल पर आधारित “संघर्षमां गुजरात” पुस्तक लिखी और हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल पर आधारित “द इमरजेंसी डायरीज” नामक पुस्तक का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। युवाओं को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है और लोकतंत्र सेनानियों के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर वर्ष इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इससे युवा न केवल लोकतंत्र का महत्व समझेंगे, बल्कि अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति भी अधिक सजग होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में यह कार्यक्रम हमें एक नई ऊर्जा और संकल्प प्रदान करेगा।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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