धुर्वा मंदिर में नेत्र दान अनुष्ठान के साथ भक्तों ने लिए भगवान जगन्नाथ के दर्शन

 


"जय जगन्नाथ" के गगनभेदी नारों के बीच, हजारों श्रद्धालु गुरुवार को रांची के धुर्वा स्थित ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर में विशेष अनुष्ठानों में भाग लेने पहुंचे। भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा से एक दिन पहले आयोजित इस अनुष्ठान में भक्तों ने गहन श्रद्धा के साथ हिस्सा लिया। मंदिर परिसर में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का माहौल था, जहां पुजारियों ने पारंपरिक ‘नेत्र दान’ समारोह संपन्न किया। यह रस्म भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को 15 दिनों के एकांतवास (अनासरा) के बाद दिव्य दृष्टि प्रदान करने के प्रतीक रूप में की जाती है।

झारखंड की राजधानी में यह ऐतिहासिक रथ यात्रा शुक्रवार शाम को शुरू होगी। भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के रथ धुर्वा स्थित मंदिर से पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शाम करीब साढ़े चार बजे निकलेंगे और मौसी बाड़ी तक की यात्रा करेंगे। यह नौ दिवसीय प्रवास 5 जुलाई तक चलेगा। रथ यात्रा के इस पावन अवसर पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। दोनों नेताओं ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने संदेशों में भगवान जगन्नाथ से राज्यवासियों के सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।

रांची प्रशासन ने इस भव्य आयोजन के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। वर्ष 1691 में बरकागढ़ रियासत के ठाकुर ऐनी नाथ शाहदेव द्वारा शुरू की गई यह परंपरा आज भी उसी उत्साह और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है। इस वर्ष 27 जून से 5 जुलाई तक रथ यात्रा के अवसर पर 10 दिवसीय मेला भी आयोजित किया जा रहा है।

पर्यावरण की दृष्टि से मेला क्षेत्र में प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। प्रशासन ने सभी स्टॉल और दुकान संचालकों को निर्देशित किया है कि वे पत्तों, बांस और कागज से बने पर्यावरण अनुकूल उत्पादों का ही उपयोग करें। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि मेले के दौरान सुरक्षा के लिए वॉच टावर, सीसीटीवी कैमरे और पुलिस अधिकारियों की तैनाती की गई है। उपायुक्त ने यह भी बताया कि बिजली, मोबाइल शौचालय, पेयजल, दमकल और एम्बुलेंस जैसी सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

रथ यात्रा का यह उत्सव रांची में न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक एकता और परंपरा की अद्भुत मिसाल भी है।

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