मस्तराम घाट पर हादसा, एक को बचाने गया साथी भी तेज बहाव में बहा
ऋषिकेश : शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसे में दो लोग गंगा नदी में बह गए। सुबह करीब साढ़े दस बजे लक्ष्मणझूला थाना क्षेत्र स्थित मस्तराम घाट पर यह घटना घटी, जब दो व्यक्ति गंगा के तेज बहाव में अचानक बह गए। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और व्यापक स्तर पर खोजबीन शुरू की गई। हालांकि, खबर लिखे जाने तक दोनों व्यक्तियों का कोई सुराग नहीं लग पाया था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक व्यक्ति गंगा में काफी आगे तक चला गया था, जहां पानी का बहाव बहुत तेज था। वह व्यक्ति अचानक संतुलन खो बैठा और तेज धारा में बहने लगा। जब उसके साथी ने उसे डूबता देखा, तो वह भी उसे बचाने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन दुर्भाग्यवश वह भी तेज बहाव की चपेट में आकर बह गया। दोनों व्यक्तियों की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है, जिससे यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे स्थानीय निवासी थे या पर्यटक।
एसडीआरएफ ने मौके पर पहुंचकर तत्काल तलाशी अभियान शुरू किया और पशुलोक बैराज तक सभी संभावित स्थानों पर खोजबीन की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। बचाव दलों द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है। टीमों को गंगा के जलस्तर और बहाव की तीव्रता के चलते अभियान में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इस घटना के बाद पुलिस और एसडीआरएफ ने एक बार फिर पर्यटकों और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे गंगा में निर्धारित सुरक्षित घाटों से ही स्नान करें और चेतावनी बोर्डों का गंभीरता से पालन करें। पुलिस ने बताया कि घाटों पर साफ तौर पर चेतावनी बोर्ड लगे हुए हैं, जिनमें गहरे पानी में जाने से मना किया गया है, बावजूद इसके कुछ पर्यटक लापरवाही करते हुए खतरा मोल ले बैठते हैं। यही लापरवाही कई बार जानलेवा साबित हो जाती है।
गौरतलब है कि इस समय गंगा का जलस्तर सामान्य से अधिक है और नदी का बहाव अत्यंत तेज है। ऐसे में किसी भी प्रकार की लापरवाही गंभीर दुर्घटना को जन्म दे सकती है। प्रशासन की ओर से लगातार चेतावनियां जारी की जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग फोटो खिंचवाने या रोमांच के चक्कर में नदी के भीतर तक चले जाते हैं।
एसडीआरएफ ने कहा है कि नदी किनारे आने वाले सभी लोगों को अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता के लिए आपातकालीन नंबरों का उपयोग करें और बचाव दलों के निर्देशों का पालन करें। प्रशासन द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि घाटों पर निगरानी बढ़ाई जाए और संभावित खतरनाक स्थलों पर बैरिकेडिंग की जाए, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
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