वीर सपूत अजय कुमावत को नम आँखो से दी अंतिम विदाई


झुंझुनूं (अश्वनी शर्मा) । लेह में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए अजय कुमावत का शनिवार को उनके पैतृक गांव झुंझुनूं के जाखल गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया। इससे पहले पुलिस और सेना के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस दौरान भारी संख्या में उमड़े लोग शहीद अजय कुमावत अमर रहे के गगनभेदी नारों के साथ शहीद को अंतिम विदाई दे रहे थे।


शनिवार सुबह ही शहीद की पार्थिव देह झुंझुनूं से उनके पैतृक गांव जाखल लायी गयी थी। शुक्रवार रात को शहीद का पार्थिव शरीर दिल्ली से आने पर झुंझुनूं के राजकीय बीडीके अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया था। सुबह झुंझुनूं में जिला कलेक्टर उमरदीन खान, पुलिस अधीक्षक जगदीशचन्द्र शर्मा ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।


जाखल गांव के सामान्य कुम्हार परिवार में पिता रामेश्वरलाल के घर जन्में शहीद अजय कुमार वर्ष 2007 में चूरू की सेना भर्ती के माध्यम से सेना भर्ती हुए थे। अभी लॉक डाउन से पहले एक माह की छुट्टी में अजय अपने परिवार के साथ होली मनाने के बाद 15 मार्च को हंसी खुशी से लेह लद्दाख ड्यूटी पर गया था। उन्हें क्या पता था कि वो अब वापस घर लौटकर नहीं आएंगे। अजय के पिता रामेश्वरलाल भवन निर्माण के मिस्त्री मजदूरी का कार्य करते हैं। उनके एक तीन साल की बेटी हंसवी व पत्नी पूनम हैं।


इन दोनों की शादी 10 वर्ष पूर्व हुई थी। अजय का ससुराल मंडावा हैं एवं उनकी पत्नी पूनम टीचर भर्ती की तैयारी कर रही है। अजय के एक छोटा भाई संजय घर पर रहते हैं। संजय ने बताया कि अजय हमेशा ही कहता था कि मुझे देश के लिए बहुत कुछ करना है वो सबसे मिलनसार और हंसमुख व्यक्तित्व के धनी थे।


शहीद के परिजनो को अपने बेटे की शहादत पर गर्व हैं। अजयकुमार लेह में ड्यूटी पर तैनात थे। वे टीम के साथ सियाचीन ग्लेशियर पर चढ़ाई कर रहे थे। इस दौरान खराब मौसम के कारण हादसे में शहीद हो हो गया हैं।


शहीद अजय कुमावत के शहीद होने की सूचना मिलते ही उनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। शहीद के 3 साल की मासूम बेटी हंसवी को शायद मालूम भी नहीं था उसके सिर से पिता का साया उठ गया है।


शहीद की मां विद्या देवी बस यही कहती रही कि इतनी छोटी उम्र में ही अजय क्यों उनका आंचल खाली कर गया। माता विद्या देवी गृहणी है। अजय का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा जाखल में हुई। वे बचपन से ही मेधावी और देशसेवा में जाने के इच्छुक रहे। रोजाना वे स्कूल से आने के बाद सेना की तैयारी करते थे। शहीद के भाई संजय ने बताया कि मात्र 19 वर्ष की उम्र में वर्ष 2007 में चूरू सेना भर्ती रैली में अजय का सेना में चयन हुआ था।


 


 


 


अजय कुमावत लेह में 41आर्टिलरी में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर तैनात थे। बुधवार को अजय अपने साथियों के साथ एक आर्मी ऑपरेशन के तहत ग्लेशियर चढ़ रहे थे। इसी दौरान चट्टान फिसल गई। जिससे वह घायल हो गया।



अजय की तबियत बिगड़ने से उन्हें हेलिकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। जाखल गांव में ग्राम पंचायत भवन के पास शहीद की पार्थिव देह की अंत्येष्टि की गई है। इससे पहले शहीद की पार्थिव देह जैसे ही घर पहुंची तो परिजन बिलख पड़े। पार्थिव देह के साथ आए शहीद के साथी सूबेदार एम.एस. भापकर ने शहीद के भाई संजय कुमार को तिरंगा सौंपा।


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