पढ़ाई का सपना लेकर निकले थे बच्चे, अस्पताल पहुंचा बचपन
अमरोहा : हसनपुर गजरौला मार्ग पर एक दिल दहला देने वाला सड़क हादसा हुआ, जिसने कई परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया। सुबह लगभग 7:20 बजे इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल सहसोली की स्कूली वैन हसनपुर से बच्चों को लेकर रोज की तरह स्कूल जा रही थी। जैसे ही वैन मनौटा पुल के पास पहुंची, सामने से आ रही तेज रफ्तार पिकअप ने उसे जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि वैन के अगले हिस्से के परखच्चे उड़ गए और उसमें बैठे बच्चों की चीख-पुकार से सड़क कांप उठी।
हादसे में मोहल्ला कायस्थान हसनपुर निवासी छह वर्षीय अनाया सैनी की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, वैन में सवार शिक्षिका निशा (30) ने अमरोहा जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस दर्दनाक टक्कर में 13 मासूम बच्चे और दो स्टाफ सदस्य घायल हो गए। इनमें से चार बच्चों की हालत नाजुक बताई जा रही है, जिन्हें बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है।
घटनास्थल पर जो दृश्य सामने आया, वह अत्यंत हृदय विदारक था। सड़क किनारे बच्चों की टूटी पानी की बोतलें लुढ़कती हुई दूर तक जा चुकी थीं। कई बच्चों के टिफन सड़क पर बिखरे पड़े थे, उनके ढक्कन खुले हुए थे और उसमें रखी रोटी-सब्जी धूल में फैल चुकी थी। पास ही एक छोटा सा बैग फटा हुआ था, जिसमें से किताबें बाहर आ चुकी थीं। कुछ बच्चे सड़क किनारे सहमे हुए बैठे थे, तो कुछ अपने खून से लथपथ साथियों को देखकर फूट-फूटकर रो रहे थे। एक बच्चा बार-बार बेहोशी की हालत में सिर्फ यही पूछ रहा था, “मैम कहां हैं?”—उसका सिर फट चुका था और खून लगातार बह रहा था।
वैन चालक विशेष, शिक्षिका रुबी समेत अन्य घायल स्टाफ और बच्चों को राहगीरों व स्थानीय ग्रामीणों की मदद से तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद स्थिति की गंभीरता को देखते हुए घायलों को जिला अस्पताल रेफर किया गया। इनमें से दो बच्चों की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें हायर सेंटर भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। सीओ दीप कुमार पंत और एसडीएम पुष्कर नाथ चौधरी ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया और घटनास्थल की जांच की। उन्होंने बताया कि हादसे के बाद से पिकअप चालक फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है। पुलिस द्वारा कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है और घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
अस्पताल परिसर में जैसे ही शिक्षिका निशा की मौत की खबर पहुंची, वहां कोहराम मच गया। घायल बच्चों के परिजन अपने लहूलुहान बच्चों से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगे। अस्पताल के हर कोने में चीख-पुकार और मातम का माहौल था। कुछ लोग गुस्से में थे तो कुछ सदमे में। जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक भी अस्पताल पहुंचे और परिजनों से मिलकर संवेदनाएं व्यक्त कीं।
मनौटा पुल पर हुआ यह हादसा न केवल दो परिवारों की दुनिया उजाड़ गया, बल्कि पूरे इलाके को गमगीन कर गया। स्कूली वैन के अंदर बच्चों की चीखों और सड़क पर बिखरे उनके सामान ने यह बता दिया कि एक छोटी सी लापरवाही कैसे मासूम ज़िंदगियों पर कहर बनकर टूट सकती है। अब सवाल यह उठता है कि क्या तेज रफ्तार वाहनों और लापरवाह चालकों पर सख्ती से नियंत्रण के बिना ऐसी घटनाएं रुकेंगी? जवाब के इंतज़ार में फिलहाल कई घरों में मातम पसरा है।
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