रिश्वतखोरी के गंभीर आरोपों में मुख्य अभियंता पर गिरी गाज

 


देहरादून :  मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रदेश में सरकारी कामकाज की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लगातार कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। शासकीय दायित्वों के निर्वहन में किसी भी प्रकार की अनियमितता या कदाचार को बर्दाश्त न करने की नीति के तहत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध त्वरित और कठोर कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में उत्तराखण्ड पेयजल निगम के अध्यक्ष श्री शैलेष बगोली द्वारा एक वरिष्ठ अधिकारी को गंभीर आरोपों के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित किए जाने की कार्यवाही की गई है।

उत्तराखण्ड पेयजल निगम के अधीक्षण अभियंता एवं वर्तमान में विकास प्रभारी मुख्य अभियंता (कु०) हल्द्वानी, श्री सुजीत कुमार विकास के विरुद्ध मिली शिकायतों की गहन जांच के उपरांत यह निर्णय लिया गया। शिकायतकर्ता श्री संजय कुमार पुत्र श्री चंद्रपाल सिंह ने अपने शिकायती पत्र में उल्लेख किया है कि वह जल योजनाओं में उप-ठेकेदार के रूप में कार्य करते हैं। वर्ष 2022 में, जब श्री सुजीत कुमार विकास निर्माण मंडल, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, देहरादून में अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत थे, तब उन्होंने श्री संजय कुमार की प्रोपराइटरशिप फर्म, मैसर्स हर्ष इंटरप्राइजेज का निगम में पंजीकरण कराने और विभागीय कार्य आवंटित कराने का आश्वासन दिया था।

शिकायत में यह भी आरोप है कि इसके बदले श्री सुजीत कुमार विकास ने श्री संजय कुमार को निर्देशित किया कि वह अपनी फर्म के बैंक खाते—बैंक ऑफ बड़ौदा, फायर स्टेशन के पास, बाजपुर रोड, काशीपुर के खाता संख्या 53930200001457 से पांच अलग-अलग किस्तों में कुल दस लाख रुपये एक अन्य फर्म, मैसर्स कुचु-पुचु इंटरप्राइजेज, के कोटक महिंद्रा बैंक खाते में स्थानांतरित करें। ये भुगतान 6 जुलाई 2022 से लेकर 8 जुलाई 2022 तक की अवधि में किए गए। विभागीय अभिलेखों की छानबीन से यह तथ्य सामने आया कि मैसर्स कुचु-पुचु इंटरप्राइजेज एक फर्म है जिसमें श्री सुजीत कुमार विकास की पत्नी श्रीमती रंजु कुमारी साझेदार हैं।

इन गंभीर आरोपों को दृष्टिगत रखते हुए श्री सुजीत कुमार विकास से 15 दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा गया था, परंतु निर्धारित अवधि समाप्त होने के बावजूद उन्होंने कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया। यह चुप्पी उनके विरुद्ध लगे आरोपों की पुष्टि के रूप में देखी गई। उत्तराखण्ड पेयजल निगम के अध्यक्ष द्वारा स्पष्ट किया गया है कि श्री सुजीत कुमार विकास का यह कृत्य निगम की कर्मचारी आचरण नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन है। एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा निजी लाभ के लिए अपने पद का इस प्रकार दुरुपयोग, निगम की साख और कार्यप्रणाली पर सीधा आघात है।

यह भी रेखांकित किया गया कि श्री सुजीत कुमार विकास जैसे अधिकारी का प्रभारी मुख्य अभियंता (कु०), हल्द्वानी जैसे महत्वपूर्ण पद पर बने रहना विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यों और मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखण्ड पेयजल निगम की कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली के अंतर्गत प्रदत्त प्रावधानों के अनुसार श्री सुजीत कुमार विकास को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन की अवधि के दौरान उन्हें महाप्रबंधक (प्रशिक्षण), मानव संसाधन प्रकोष्ठ, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, रुड़की से संबद्ध किया गया है।

यह कार्यवाही सरकार की इस प्रतिबद्धता का प्रतीक है कि प्रदेश में सरकारी व्यवस्था में किसी भी प्रकार की अनियमितता, भ्रष्टाचार अथवा पद के दुरुपयोग को सख्ती से रोका जाएगा और दोषियों के विरुद्ध समयबद्ध व निर्णायक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। यह संदेश भी स्पष्ट है कि शासन-प्रशासन की ईमानदारी और पारदर्शिता को बनाये रखने के लिए उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भी उत्तरदायी हैं और कोई भी व्यक्ति कानून और सेवा नियमों से ऊपर नहीं है।

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