केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

 


 रुद्रप्रयाग /  केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के अवसर पर सुबह आठ बजे शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ कपाट बंद होने के बाद पंचमुखी विग्रह मूर्ति विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। अगले छह माह भोले बाबा के दर्शन यहीं होंगे।ग्याहरवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट आज भैया दूज पर पूजा-प्रक्रिया के बाद विधि-विधान से बंद कर दिए गए हैं। सुबह छह बजे पुजारी बागेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरवनाथ का आह्वान कर धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्यंभू शिवलिंग को विभूति और शुष्क फूलों से ढककर समाधि रूप में विराजमान किया।


 ठीक सुबह आठ बजे मुख्य द्वार के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।बर्फ की सफेद चादर ओढ़े केदारनाथ धाम से पंच मुखी डोली ने सेना के बैंड-बाजों की भक्तमय धुनों के बीच मंदिर की परिक्रमा कर विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती और आशुतोष डिमरी, देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन, जिलाधिकारी मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल, उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, केदार सभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला आदि मौजूद रहे।सात नवंबर को केदारनाथ की डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास के लिए पहुंचेगी। 


आठ नवंबर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली के पंच केदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। इसी के साथ भगवान भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा शुरू होगी।वहीं, यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12 बजे के बाद शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर समिति के उपाध्यक्ष राजस्वरूप उनियाल ने बताया कि शनिवार को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे। इसके बाद शनि महाराज के नेतृत्व यमुना की डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली पहुंचेगी।

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