चाइना बॉर्डर पर स्थित गांवों के असली प्रहरियों की उपेक्षा कर रही है सरकार


चीन बार्डर पर स्थित गांव में घायल हुई महिला को आईटीबीपी ने पहुंचाया मुनस्यारी स्वास्थ्य केंद्र


हीरा सिंह चिराल


पिथौरागढ़/  बीस बरस के उत्तराखंड में सीमांत एवं अन्य दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आज भी मूलभूत समस्याओं को लेकर जूझना पड़ रहा है। बात अगर स्वास्थ्य की हो तो यह स्थिति किसी से छिपी नहीं है। यूं तो प्रदेश सरकार ने हैली सर्विस के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों के मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाने की व्यवस्था की है, लेकिन अभी भी इस व्यवस्था का मैनेजमेंट दुरुस्त नहीं किया सका है। अगर ऐसा नहीं होता तो चीन सीमा पर स्थित गांव की एक महिला को चट्टान से पत्थर गिरने पर गंभीर स्थिति के बावजूद छह दिनों तक हैली सेवा का इंतजार नहीं करना पड़ता। वह तो आईटीबीपी के जवानों की मुस्तैदी ने उक्त महिला को राहत पहुंचाते हुए छह दिनों बाद अस्पताल पहुंचा दिया। ऐसे में क्षेत्रवासी चाइना बॉर्डर पर स्थित गांवों के असली प्रहरियों की सरकार पर उपेक्षा करने का आरोप लगा रहे हैं।


तहसील मुनस्यारी के माइग्रेशन के गांव लास्पा गाड़ी चीन सीमा से लगे हुए गांव है। गांव के रेखा देबी पत्नी, लक्षमण राम को चट्टान से पत्थर आने से घायल हो गयी थी। आज भारत तिबत सीमा पुलिस, (आईटीबीपी) की सहयोग और ग्रामीण की सहयोग से 6 दिन के बाद मुनस्यारी, स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया है। मुनस्यारी में अभी इलाज चल रहा है।



मुनस्यारी मल्ला जोहार समिति के अध्यक्ष राम सिंह धरमसतु ने इस बात पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि हमने सरकार से घायल महिला को हैलीकॉप्टर से लाने की मदद मांगी थी, लेकिन सरकार के द्वारा कोई मदद नहीं मिली। आज घायल महिला छः दिन के बाद मुनस्यारी चिकित्सालय पहुंची है, भारतीय, तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों और ग्रामीण के सहयोग से मुनस्यारी पहुंचाई गई है। सरकार चीन सीमा से लगे हुए गांव की उपेक्षा कर रही है, जबकि ये असली सीमा के प्रहरी है।


ग्राम प्रधान चन्द्रा देवी ने भारतीय सेना आईटीबीपी का धन्यवाद किया, जिनके सहयोग से रेखा देवी घायल महिला को 50 किमी. पैदल कंधे में लाद कर 6 दिन के बाद मुनस्यारी पहुंचाया गया है, लेकिन जोहार माइग्रेशन के गांव को हैलीकॉप्टर जैसी सुविधाएं नहीं दिया जाने से खास नाराजगी जाहिर की है।


साथ ही गांव के युवा महेन्द्र राम, सुरेन्द्र कुमार, पंकज, कुमार, कैलाश, लक्ष्मण, जितेंद्र, नारायण राम आदि ग्रामीण ने भी सहयोग किया जिनका गांव प्रधान ने दिल से धन्यवाद किया है।


Source : mukhyadhara


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