निर्भया के गुनहगारों के डेथ वारंट पर फैसला टला, अब 7 जनवरी को कोर्ट करेगा सुनवाई

 




दिल्ली/  भारत की सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के सामुहिक बलात्कार और हत्या केस में दोषी अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है और दोषी अक्षय ठाकुर की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट के बाद अब इस मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई होनी थी जिसे कोर्ट ने 7 जनवरी तक टाल दिया है। निर्भया के दोषियों की फांसी का डेथ वॉरेंट पर फैलसा अब 7 जनवरी को लिया जाएगा। ऐसे में दोषियों को अब 20 दिन को मोहलत और मिल गई है। इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों आरोपियों का डेथ वॉरंट जारी करने से इंकार कर दिया था क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में निर्भया के आरोपियों की फांसी पर सुनवाई होगी। निर्भया के गुनहगारों को पटियाला हाउस कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया जाएगा। जहां मामले की सुनवाई होगी और चारों आरोपियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी हो सकता है। कानूनी भाषा में दंड प्रक्रिया संहिता.1973 के अंदर 56 फार्म होते हैं। इस सभी 56 फार्म के 42 नंबर फार्म को डेथ वारंट कहा जाता है। इस फार्म पर वारंट ऑफ एक्जेक्यूशन ऑफ अ सेंटेंस ऑफ डेथ लिखा होता है। जब इसे कोर्ट की तरफ से जारी कर दिया जाता है तभी किसी भी अपराधी को फांसी की सजा दी जाती है। निर्भया मामले में भी सारी सुनवाई और जांच पूरी हो चुकी है और इस लिए आखिर में डेथ वारंट के लिए ये मामला दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पहुंचा है। इस दौरान अगर आरोपी अपनी मौत की सजा की माफी के लिए अर्जी राष्ट्रपति के पास भेजता है और राष्ट्रपति के तरफ से भी इसे खारिज कर दिया जाता है तो कोर्ट आरोपियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर देती हैं। डेथ वारंट जारी होने के बाद आरोपी को सजा दी जाती है। निर्भया केस में जेल प्रशासन का कहना है कि दोषी मुकेश दया याचिका नहीं देना चाहता है। इसके अलावा दोषी विनय अपनी दया याचिका वापस ले चुका है और आज आरोपी अक्षय ठाकुर की सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी है अब मामला कोर्ट के सामने है।


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