मुनस्यारी में भारी बर्फबारी से ITBP के 30 जवान फंसे


 


मुनस्यारी / भारी बर्फबारी के बाद चीन सीमा से लगी आईटीबीपी की बुगडियार और रेलकोट चौकी में 30 जवान फंसे, इसमें रेलकोट में 18 व बुगडियार में 12 जवान शामिल हैं। लगातार हिमस्खलन से जवान चौकियां खाली नहीं कर पा रहे हैं। चौकियों को खाली कराने भेजे गए 11 पोर्टर भी समय पूर्व बर्फबारी में फंस गए। हालांकि अभी आईटीबीपी के अधिकारी इस मामले में जानकारी देने से बच रहे हैं। चीन सीमा पर निगरानी के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्र बुगडियार और रेलकोट में आईटीबीपी की चौकियां हैं। हर वर्ष बर्फबारी से पहले हिमस्खलन के खतरे को देखते हुए इन चौकियों को 15 दिसंबर तक खाली कर जवानों की तैनाती मिलम और लीलम चौकियों पर की जाती है। इस बार समय से पहले भारी बर्फबारी से जवानों की परेशानी बढ़ गई है। 12 दिसंबर को इन क्षेत्रों में 6 फीट से अधिक बर्फ गिरी। इससे चौकियों में हिमस्खलन का खतरा बढ़ गया है। हिमस्खलन की आशंका में जवान चौकियों से वापस नहीं आ पा रहे हैं। चौकियों को खाली कराने सामान ढोने को भेजे गए 11 पोर्टर भी चौकियों में फंस गए हैं। हिमस्खलन से चौकियों को जोड़ने वाले पैदल रास्तों में 15 से 20 फीट ऊंचे बर्फ के पहाड़ बन गए हैं। नहर देवी, रेलकोट, स्यूनी, मपांग स्थानों में लगातार हिमस्खलन हो रहा है। इससे जवानों का पैदल लौटना मुश्किल हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक रेलकोट चौकी में 18 जवान और 6 पोर्टर जबकि बुगडियार चौकी में 12 जवान और 5 पोर्टर फंसे हैं। मिलम ट्रैक कराने वाले ट्रेवल एजेंट बीरु बुग्याल और नरेंद्र कुमार का कहना है कि नहर देवी के पास बर्फ के पहाड़ काटे बगैर चौकियों से वापस आने में खतरा अधिक है। अब केवल हेलीकॉप्टर की मदद से उन्हें लाया जा सकता है।वर्ष 1990 में बुगडियार चौकी हिमस्खलन की भेंट चढ़ गई थी। तब वहां तैनात 5 जवान बर्फ का पहाड़ टूटने से जिंदा दफन हो गए थे। वर्ष 1976 में इन दोनों चौकियों में तैनात जवानों को सामान आपूर्ति करने के लिए जा रहे पोर्टर और घोड़े 4 माह तक मिलम में ही फंसे रहे। इनके लिए हैली से खाना भेजा गया था।


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