नया साल बनाम संकल्पों का संकल्प 

 


 




सलीम रज़ा
आज सुबह मुझसे मेरी पत्नी ने कहा, सुनो नये साल पर क्या संकल्प लोगे? मैं सोचने लगा आज मेरी पत्नी ने कौन सा ख्वाब देख लिया जो सुबह-सुबह ऐसा भावुक होकर बोल रही हैं। मैंने कहा,पिछले साल भी तुमने ऐसा ही कुछ कहा था। मेरी पत्नी ने अजीब सा मुंह बनाया तो मुझे अपनी गल्ती का अहसास हुआ कि नाहक मैंने याद दिला दिया, फिर भी मैंने बड़े प्यार से पत्नी के गालों को हाथ में लेकर कहा पागल हम तुम 12 सालों से वगैर किसी विवाद, नोंक-झोंक के एक साथ हैं वो संकल्प इस नये साल के संकल्प से कुछ अलग है क्या? मेरी पत्नी ने मेरे कन्धे पर सिर रखकर बड़ी मासूमियत से कहा, लोग तो कुछ न कुछ संकल्प नये साल में लेते हैं। अब मैं भी भावुक हो चुका था मैंने अपनी पत्नी को विस्तार से संकल्पों के संकल्प के बारे में बताया। हर बार नये साल में लोग तरह-तरह के संकल्प लेते है,ं इसके प्रकार भी अलग-अलग हैं जैसे कि कोई नये साल के आगमन पर रिश्तों में ताजगी बनाये रखने के लिए उनकी मेजबानी करके संकल्प उठाते है,ं तो कुछ नये साल पर नये परिधानों की खरीददारी या परिवार के साथ पिकनिक पर रहते हैं, कुछ अपनी बुरी आदतों को छोड़ने का संकल्प लेते हैं, तो कोई अपने स्वास्थ के लिए नुकसान देह वयंजनों को त्याग देने का संकल्प लेते हैं। 


जरा गौर करिए क्या नये संकल्प हर नये साल की तरह उसके आगमन से शुरू और उसके अलविदा होने के साथ सिर्फ किताबों में दिये गये विचार की तरह भुला दिये जाते हैं। कितनी जद्दो जहद करते हैं हम हर साल नया पाने की लालसा तो सब के अन्दर जन्म लेती है, लेकिन नया हर किसी को मिलता ही कहां है। ये कैसा रंगहीन नजारा है हम हर साल अपनी जिन्दगी के कैनवास में नये-नये रंग भरने के चक्कर में ये भी भूल जाते हैं कि हमारे द्वारा लिए गये संकल्प समय के साथ-साथ धूमिल होने लगते हैं। इंसान समय के हाथों मजबूर होकर कुछ नया करने, कुछ नया पाने के लिए पुराने ही दोहरा रहा है। क्या आपको नहीं लगता कि हमारे द्वारा लिए जाने वाले संकल्पों की क्वालिटी में उत्तरोत्तर गिरावट आ रही है? हर इंसान इस बात से इत्तफाक रखता है कि वो जिस लक्ष्य के पीछे मृग मारीच बनकर भाग रहे हैं वो लक्ष्य उन्हें खुद के परिश्रम से मिल रहा है या हमें किसी और के द्वारा हासिल हो रहा है। अब आप जरा सोचिए हम अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अनवरत प्रयास करते हैं लेकिन समाज के द्वारा दिये गये लक्ष्य के प्रति हम अपनी एनर्जी को मेन्टेन क्यों नहीं कर पाते? मिसाल के तौर पर किन्हीं खास हालातों में लिए गये लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प उस विशेष परिस्थितियों के बीतते ही बदलने लगते हैं। 



लक्ष्य वो है संकल्प वो है जिसे लेने से पहले हमने अपनी इन्द्रियों को वश में करके लिया उसमें मजबूती के साथ एक आत्मविश्वास होता है, लेकिन दुनिया की भेड़ चाल में ये संकल्प और लक्ष्य के प्रति जितना भी उत्साह जागृ्रत होता है उसके पीछे दूसरों को प्रभावित करने की मंशा ज्यादा होती है। ऐसे लक्ष्यों और संकल्पों का कोई मोल नहीं होता है। जब किसी को प्रभाावित करने के लिए संकल्प लिये जाते हैं तो वो बेमेल तो होते ही हैं वल्कि उनकी कोई भी कीमत नहीं होती है। नये सल में रेजुलेशन लेना आज आम बात है ,सभ्रान्त लोगों से लेकर मध्यम, अतिमध्यम और लोवर क्लास तक हर कोई संकल्प के प्रति उत्साही दिखता है ये क्या है? ये एक तरह से बाहर से आना वाला उत्साह है जो आपको प्ररित तो कर रहा है लेकिन बल ( ताकत)उन लोगों की लग रही है ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे आप अपने जीवन रूपी नाव में संकल्पों को लेकर सवार तो जरूर हैं लेकिन पतवार आपके हाथों में नहीं है, वो पानी में अनियंत्रित चल रही है क्यों उसको वेग देने वाले बहुत लोग है इसलिए किसी एक दिशा में पहुच पाना नामुमकिन है। इसलिए इंसान को ऐसे संकल्प लेने चाहिए जो हर पल हमारे मन मस्तिष्क को आगाह करते रहें जिससे हम अपने लक्ष्य से न भटक पायें। 


दरअसल संकल्प को कह लेना और उसका अनुसरण करना उतना ही कठोर है जैसे जेठ-बैसाख के महीने में निर्जला व्रत रखना क्योंकि नये साल के आगमन और बीते साल के अनुभवों को रिव्यू करके उसका सही से आंकलन करके उन बीते हुये लम्हों से सीख लेते हुये नये साल को बेहतर बनाने के लिए अपने द्वारा लिए गये संकल्पों के साथ आडिग खड़ा होना है। नये साल के लिए जाने वाले संकल्प दृढ़ इच्छााशक्ति की बुनियाद पर होते हैं, इंसान को उसी दिशा में चलते रहना चाहिए। ऐसा भी देखा जाता है कि लोग अपने जीवन को अच्छा बनाने की असफल कोशिश करते हैं लेकिन इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि आपके जीवन में अच्छा अपने आप तो होने वाला नहीं है । अच्दा करने के लिए आपको अपने अन्दर एक मजबूत इच्छाशक्ति का संचार करना होगा, और बुनियादी सतह से लेकर योजनावद्ध तरीके से काम करना होगा, क्योंकि ये योजनाऐं ही नये साल के संकल्प का आधार होती हैं। 


बहरहाल इन संकल्पों के पिटारे में से निकले संकल्प के लिए नये साल के आगमन का ही इंतजार क्यों? संकल्प लेने के लिए और अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के जिए बनाये गये लक्ष्य किसी खास दिन,साल,समय के मोहताज नहीं होते हैं।अगर हम आप इस दिन के इंतजार में रहते हैं तो सही मानिए आप जीवन के उन अनमोल लम्हों को खो रहे हैं जो शायद न लौटें और आप चारित्रिक शिलालेख पर लिखे गये संकल्पों को लिखते-मिटाते न रह जायें। संकल्प आत्मचिंतन की वो कसौटी है जो आपके अन्दर पैदा होने वाली मैच्युरिटी का इंतजार करती है क्योंकि संकल्प लेना तो बहुत ही आसान है जो दूसरों के द्वारा उत्साहित करने पर आपके अन्दर पैदा होता है लेकिन वगैर आत्मचिंतन के संकल्प को निभा पाना बहुत ही मुश्किल है। संकल्पों की होड़ और दौड़ में हम आप अपने अन्दर आत्मचिंतन की भावना जगाये और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ अपनी इन्द्रियों को वश में करके संकल्प लें तो यकीन मानिए आप जीवन में लक्ष्यों को निर्बाध रूप से हासिल करते रहेंगे, इसके लिए नये साल का होना कोई महत्व नहीं रखता। 


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