पुष्कर सिंह धामी: युवाओं की उम्मीद और उत्तराखंड का विश्वास

 



(सलीम रज़ा पत्रकार)

पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने अल्प समय में अपने कार्यों और व्यवहार से प्रदेश की जनता के बीच खास जगह बनाई है। वे सरल स्वभाव, निर्णय क्षमता और सक्रिय नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं। उनके शासन में न केवल विकास के काम तेज हुए, बल्कि सामाजिक सद्भाव और युवाओं के हित के लिए भी ठोस पहल सामने आईं। उनकी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि उन्होंने राज्य में लंबे समय से चले आ रहे बेरोजगार आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त कराने में निर्णायक भूमिका निभाई। आंदोलन के दौरान उन्होंने सीधे प्रदर्शनकारियों से संवाद किया, उनकी मांगों को सुनने के लिए खुली बैठकें आयोजित कीं और युवाओं के साथ मिलने-जुलने में खुद आगे आए। तनाव की स्थिति को भांपते हुए उन्होंने प्रशासन को निर्देश देकर हिंसात्मक कार्रवाई से बचने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने पर जोर दिया।

धामी ने बेरोजगार युवाओं के लिए तत्काल और दीर्घकालिक दोनों तरह के कदम उठाए। तत्कालीन दौर में उन्होंने रोजगार मेलों और कैम्पों का आयोजन कर युवाओं को नौकरी से जोड़ने के प्रयास तेज किए। साथ ही, तकनीकी व व्यावसायिक प्रशिक्षण (स्किल डेवलपमेंट) कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया गया ताकि युवा स्थानीय उद्योगों और सेवा क्षेत्रों के अनुकूल कौशल सीख सकें। इस तरह अनेक युवाओं को अल्पकालिक अवसर और प्रशिक्षण मिलना शुरू हुआ, जिससे आंदोलन की बेसिक मांगों में काफी हद तक शांति से निपटा जा सका। नौकरी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने के लिए उनके नेतृत्व में सरकारी भर्तियों और भर्ती नियमों की समीक्षा भी हुई। भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के संदर्भों को कम करने के लिए भर्ती प्रक्रियाओं को डिजिटल किया गया और समय-सीमा तय की गई, ताकि अभ्यर्थियों को जल्द परिणाम मिलें और मनमानी पर अंकुश लगे।

इसके साथ ही, प्राथमिकता से स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की नीति और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने वाले अनुदान तथा ऋण योजनाओं की रूपरेखा तैयार की गई। धामी ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष ध्यान दिया — स्वरोजगार स्कीम और छोटे उद्योग लगाने वालों को आसान बैंकिंग सुविधाएं, प्रशिक्षण व मार्गदर्शन मुहैया कराए गए। शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वरोजगार केन्द्रों और स्टार्टअप इकोसिस्टम को सक्रिय किया गया, जिससे युवा अपनी छोटी परियोजनाएं शुरू कर सकें और रोज़गार सृजन में सहायक बनें।

इन्हीं पहलों के कारण बेरोजगार आंदोलन के अनेक प्रमुख मुद्दों का जल्द समाधान संभव हुआ और आंदोलन शांतिपूर्ण रूप से समाप्त हुआ। उनका यह तरीका—संवाद, व्यवस्था में पारदर्शिता और व्यावहारिक प्रशिक्षण व रोजगार सृजन—राजनीति में सकारात्मक नेतृत्व का उदाहरण माना गया। धामी का यह नज़रिया कि विकास और सामाजिक शांति साथ-साथ चलनी चाहिए, उत्तराखंड के युवाओं और आम जनता के बीच सराहा गया। उनकी नीतियों ने केवल अस्थायी राहत नहीं दी, बल्कि भविष्य में रोजगार के टिकाऊ उपायों और प्रशासनिक सुधारों का मार्ग भी प्रशस्त किया। यही वजह है कि कई लोग उन्हें न केवल एक कार्यकुशल मुख्यमंत्री बल्कि युवाओं के हक में ठोस कदम उठाने वाला नेता मानते हैं।

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