भड़काऊ साजिश में मददगारों पर शिकंजा, अब फाइक एन्क्लेव में गरजेगा बुलडोज़र

 


बरेली : 26 सितंबर को हुए सांप्रदायिक बवाल की जड़ें धीरे-धीरे गहराई से सामने आ रही हैं। मुख्य आरोपी मौलाना तौकीर रजा को अपने घर में पनाह देने वाले उसके करीबी फरहत अहमद और उसके बेटे फरमान अब प्रशासन के निशाने पर हैं। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने फरहत के फाइक एन्क्लेव स्थित घर पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है। सोमवार को बीडीए की टीम मौके पर पहुंची और मकान का सर्वे करते हुए उसका वीडियो भी बनाया। हालांकि पुलिस फोर्स उपलब्ध न होने के कारण उस दिन सीलिंग या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं हो सकी। जैसे ही पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध होगा, बीडीए मकान पर सख्त कार्रवाई करेगा।

पुलिस की जांच में सामने आया है कि फरहत और उसका बेटा फरमान बवाल के दौरान मौलाना की पूरी मदद कर रहे थे। उन्होंने न केवल मौलाना को अपने घर में छिपाया बल्कि भड़काऊ बयान सोशल मीडिया पर वायरल करने, अपीलें बांटने और लोगों को बुलाने जैसे कामों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। पुलिस के अनुसार, उन्होंने कई लोगों को व्यक्तिगत रूप से कॉल कर बवाल में शामिल होने के लिए उकसाया। दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। फरहत पहले आईएमसी का जिलाध्यक्ष भी रह चुका है।

एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि जांच के दौरान फरहत और उसके बेटे की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। वे न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाले एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थे, बल्कि हिंसा भड़काने के लिए सक्रिय तौर पर भूमिका निभा रहे थे। यदि उनके खिलाफ और तथ्य सामने आते हैं, तो उन पर पहले से दर्ज मुकदमों में और धाराएं जोड़ी जाएंगी।

उधर, नगर निगम की टीम ने भी सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए मौलाना तौकीर के एक और करीबी डॉ. नफीस की नावल्टी स्थित मार्केट को सील कर दिया। यह मार्केट नगर निगम के अनुसार नाले पर अवैध रूप से बनाई गई थी। मार्केट में कुल 74 दुकानें हैं और वहीं पर आईएमसी का कार्यालय भी संचालित हो रहा था, जिसे भी सील कर दिया गया है।

नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य के मुताबिक, मार्केट की कई दुकानें पहलवान साहब की मजार के पास नाले पर अवैध रूप से बनाई गई थीं। शनिवार को ही नगर निगम की टीम ने मार्केट की नापजोख कर ली थी और सोमवार को दुकानदारों को अपना सामान हटाने के लिए कहा गया। जैसे-जैसे दुकानें खाली हुईं, उन पर सील लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई। अंत में पूरी मार्केट को बाहर से सील कर दिया गया।

इस मार्केट के दूसरे तल पर स्थित आईएमसी के कार्यालय को लेकर भी प्रशासन को इनपुट मिले थे कि यहीं से संगठन के कार्यक्रमों की रणनीति बनाई जाती थी। बताया जा रहा है कि डॉ. नफीस इस कार्यालय से संगठन के तमाम कार्यों को संचालित करता था। मौलाना तौकीर का इस कार्यालय में दो-तीन बार आना-जाना भी हुआ था। लेकिन असल कमान नफीस के हाथों में ही थी। उसका करीबी अनीस सकलैनी अक्सर इसी मार्केट में 'पंचायत' लगाकर बैठता था।

चौंकाने वाली बात यह है कि डॉ. नफीस हाल ही में उस समय सुर्खियों में आया था जब उसने "आई लव मोहम्मद" लिखे पोस्टर हटाने पर एक पुलिस इंस्पेक्टर को धमकी दी थी कि वह उसका हाथ काट देगा और वर्दी उतार देगा। इसी बयान के बाद माहौल और तनावपूर्ण हो गया था।

डॉ. नफीस को देर रात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रशासन इस पूरे मामले को एक सुनियोजित षड्यंत्र के रूप में देख रहा है, जिसमें धार्मिक भावना का इस्तेमाल कर राजनीतिक और व्यक्तिगत लाभ के लिए माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई।

पूरे घटनाक्रम में जिस तरह से आईएमसी के विभिन्न नेताओं और कार्यकर्ताओं की भूमिकाएं सामने आ रही हैं, उससे स्पष्ट है कि यह कोई अचानक हुआ बवाल नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी। प्रशासन अब इस पूरे नेटवर्क को बेनकाब करने की दिशा में तेज़ी से काम कर रहा है।

टिप्पणियाँ

Popular Post