सेमीकॉन इंडिया 2025 में दिखा भारत का तकनीकी दम, लॉन्च हुई मेड इन इंडिया चिप

 


सेमीकॉन इंडिया 2025 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत का पहला स्वदेश निर्मित विक्रम-32-बिट प्रोसेसर चिप भेंट किया। यह चिप देश की सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल) ने इसे विशेष रूप से अंतरिक्ष प्रक्षेपण यानों की कठिन परिस्थितियों के लिए विकसित और योग्य बनाया है।

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत में अब सेमीकंडक्टर का संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो रहा है, जो उद्योग और प्रौद्योगिकी के लिए बुनियादी आधार है। उन्होंने बताया कि कार, रेफ्रिजरेटर, स्कूटी, रक्षा उपकरण, मोबाइल फोन और लैपटॉप तक—हर चीज़ में चिप्स की आवश्यकता होती है। इसी कारण प्रधानमंत्री मोदी ने इस उद्योग पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने जानकारी दी कि 10 संयंत्रों में से 4 के लिए पायलट लाइन तैयार है और इस वर्ष के अंत तक उत्पादन शुरू हो जाएगा।

मंत्री ने बताया कि देशभर में 278 विश्वविद्यालयों में सेमीकंडक्टर प्रशिक्षण दिया जा रहा है और प्रशिक्षण प्राप्त छात्रों ने अब तक 20 चिप्स डिजाइन कर लिए हैं। यह प्रयास भारत को दीर्घकालिक विकास की ओर ले जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उपकरण, रसायन, गैस, सब्सट्रेट, फैब्रिकेशन और चिप निर्माण सहित पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करना लक्ष्य है। 25 उत्पादों की पहचान की गई है, जिनकी डिज़ाइन और निर्माण भारत में ही होगा और फिर उन्हें विश्व बाजार में पहुँचाया जाएगा।

इसरो ने विक्रम 3201 उपकरण के प्रारंभिक बैच का पीएसएलवी-सी60 मिशन के दौरान सफलतापूर्वक सत्यापन किया। मार्च में पहली बार प्रस्तुत इस चिप ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत साढ़े तीन वर्षों में उपभोक्ता से उन्नत चिप निर्माता देश के रूप में उभर चुका है। इसका निर्माण और पैकेजिंग पंजाब के मोहाली स्थित एससीएल की 180nm CMOS सुविधा में किया गया।

विक्रम-32 एक उच्च क्षमता वाली कंप्यूटर चिप है जो दशमलव संख्याओं के साथ काम कर सकती है और 32 बिट्स के हिस्सों में डेटा प्रोसेस करती है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह अंतरिक्ष उड़ान के दौरान अत्यधिक तापमान और कठिन वातावरण का सामना कर सके। यह पर्याप्त मेमोरी संभाल सकती है और उपग्रहों व अंतरिक्ष यानों के लिए आवश्यक जटिल निर्देशों को निष्पादित कर सकती है।

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