गीठ पट्टी के 12 गांवों का संपर्क टूटने का मंडरा रहा खतरा

 


देहरादून :  यमुनोत्री और गीठ क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश ने हालात को और गंभीर बना दिया है। स्यानाचट्टी में यमुना नदी पर बनी झील ने एक बार फिर विकराल रूप धारण कर लिया है। झील का पानी तेजी से बढ़ने से क्षेत्र में तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। हाईस्कूल और जूनियर हाईस्कूल के भवन पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं, वहीं जीएमवीएन गेस्ट हाउस समेत नदी किनारे बने कई होटल आधे से ज्यादा पानी में डूब चुके हैं। यमुनोत्री हाईवे पर बना पुल भी पानी के तेज बहाव की चपेट में आ गया और उस पर से पानी बहते हुए स्यानाचट्टी की पार्किंग तक पहुंच गया। इसके चलते वहां खड़ी गाड़ियां, दुकानों और घरों में रेत और गाद भर गई है।

सोमवार को जैसे-जैसे यमुना का जलस्तर बढ़ा, स्थिति और भयावह होती गई। पुल के ऊपर से बहते पानी के कारण लोगों में दहशत फैल गई। दुकानों और घरों में जहां रेत भर गई है, वहीं झील का पानी बढ़ने से सरकारी स्कूल और सार्वजनिक शौचालय पूरी तरह डूब चुके हैं। जीएमवीएन गेस्ट हाउस और आसपास के कई होटलों की दूसरी मंजिल तक पानी पहुंच चुका है। अब स्थानीय लोग भयभीत हैं कि पानी उनके घरों और होटलों में दो तरफ से घुसने लगा है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि पुल पर तेज बहाव का दबाव लगातार बढ़ रहा है और उसके टूटने का खतरा मंडरा रहा है। यदि पुल टूट गया तो गीठ पट्टी के करीब 12 गांवों का संपर्क पूरी तरह मुख्यालय से कट जाएगा और हालात और गंभीर हो जाएंगे।

प्रशासन ने झील के मुहाने से मलबा हटाने के लिए तीन मशीनें तैनात की हैं, लेकिन हजारों टन मलबे और लगातार बारिश के कारण बार-बार झील भरती जा रही है। मशीनें लगातार काम कर रही हैं, फिर भी पानी का दबाव कम नहीं हो रहा। इससे स्यानाचट्टी के पूरी तरह जलमग्न होने का खतरा और भी बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं और यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति बेकाबू हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बारिश और झील के आकार में हो रही वृद्धि ने खतरे को कई गुना बढ़ा दिया है। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की अपील की है और प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी गई है। हालांकि, लोग अब भी आशंकित हैं कि यदि मौसम में सुधार नहीं हुआ और झील का जलस्तर घटाने के लिए ठोस व्यवस्था नहीं की गई तो स्यानाचट्टी और आसपास का इलाका भारी तबाही की चपेट में आ सकता है।

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