पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कुंज बिहारी नेगी के निधन पर सतपाल महाराज ने जताया शोक

 


पौड़ी  : जनपद से एक शोक समाचार ने पूरे क्षेत्र को दुख और संवेदना के माहौल में डुबो दिया है। जिले के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कुंज बिहारी नेगी के असामायिक निधन की खबर ने न सिर्फ उनके परिजनों और शुभचिंतकों को, बल्कि पूरे गढ़वाल मंडल के सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक जगत को गहरी पीड़ा में डाल दिया है। 85 वर्षीय कुंज बिहारी नेगी लंबे समय से सामाजिक सेवा और ग्रामीण विकास के कार्यों में सक्रिय थे और अपने सादे स्वभाव तथा जनहितकारी दृष्टिकोण के लिए व्यापक रूप से सम्मानित थे।

उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे सतपाल महाराज ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि कुंज बिहारी नेगी एक सच्चे जनसेवक थे जिन्होंने अपना जीवन समाज और क्षेत्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनके निधन से समाज को एक अपूरणीय क्षति हुई है और एक ऐसा नेतृत्व खत्म हो गया है जो हमेशा जनभावनाओं के अनुरूप कार्य करता रहा।

सतपाल महाराज ने आगे कहा कि कुंज बिहारी नेगी ने अपने कार्यकाल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के विकास, पंचायतीराज व्यवस्था को मजबूत करने और जनसमस्याओं के समाधान के लिए जो प्रयास किए, वे अनुकरणीय हैं। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। मंत्री महाराज ने कहा कि उनके द्वारा समाज के लिए किए गए कार्यों को हमेशा याद रखा जाएगा और उनके आदर्शों से हमें जनसेवा की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहेगी।

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के निधन की खबर मिलते ही राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्रों के तमाम लोगों ने शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं और उनके आवास पर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त है और कई जगहों पर श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया, जहाँ उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

कुंज बिहारी नेगी का जीवन अनुशासन, सेवा और संघर्ष की मिसाल था। उन्होंने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में हमेशा गांव, गरीब और आम आदमी की आवाज को बुलंद किया। स्थानीय समस्याओं को शासन-प्रशासन तक पहुंचाने में वे हमेशा आगे रहते थे और जनहित के मुद्दों पर कभी समझौता नहीं किया। उनके निधन से जो खालीपन पैदा हुआ है, उसकी भरपाई कर पाना आसान नहीं होगा।समाजसेवा और लोकतंत्र के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए यह आवश्यक है कि आने वाली पीढ़ी उनके कार्यों और सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर समाज हित में कार्य करती रहे। पौड़ी जनपद और समूचे उत्तराखंड ने एक सच्चे सिपाही को खो दिया है।

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