बारिश और मलबे ने रोकी वैष्णो देवी की यात्रा, सेवाएं अस्थायी रूप से बंद

 


माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों श्रद्धालु देशभर से आते हैं और बारहों महीने यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है। चाहे भीषण गर्मी हो, कड़ाके की ठंड या मूसलाधार बारिश – मां वैष्णो देवी के दरबार के द्वार हर मौसम में खुले रहते हैं। हालांकि इन दिनों भारी बारिश और भूस्खलन के चलते तीर्थयात्रा को लेकर चुनौतियां बढ़ गई हैं। ताजा घटनाक्रम में माता वैष्णो देवी के नए हिमकोटि मार्ग पर फिर से भारी भूस्खलन हुआ है, जिससे यह मार्ग तीसरी बार बंद करना पड़ा है।

अधिकारियों के अनुसार, लगातार हो रही बारिश के कारण हिमकोटि मार्ग पर लगभग 30 फीट मलबा और विशालकाय पत्थर आकर गिर गए हैं, जिससे यह रास्ता पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस मार्ग पर चलने वाली बैटरी कार सेवा, केबल कार और हेलीकॉप्टर सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं। हालात को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से राहत एवं निकासी कार्यों को युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है।

श्राइन बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि भूस्खलन में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। तीर्थयात्रियों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए यात्रा को अब पुराने पारंपरिक मार्ग से जारी रखा जा रहा है। श्राइन बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यात्रियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए मार्ग पर अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की गई है और आपदा प्रबंधन की टीमें मलबा हटाने में जुटी हुई हैं।

इससे पहले भी वर्ष 2025 में दो बार इसी मार्ग को भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बंद किया गया था। ऐसे में यह तीसरी बार है जब तीर्थयात्रियों को पुराने मार्ग का सहारा लेना पड़ रहा है। तीर्थयात्रियों से अपील की गई है कि वे यात्रा के दौरान केवल अधिकृत मार्गों का ही उपयोग करें और मौसम से संबंधित सरकारी चेतावनियों और दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें।

अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सूचनाएं लगातार सार्वजनिक की जा रही हैं और किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें। सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देते हुए, जल्द से जल्द मलबा हटाकर नए मार्ग को फिर से चालू करने का प्रयास किया जा रहा है। त्रिकुटा पहाड़ियों की जटिल भूगर्भीय संरचना और बदलते मौसम के कारण हर साल इस तीर्थ स्थल पर प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बनी रहती है, लेकिन प्रशासन और श्राइन बोर्ड मिलकर हर बार यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटे रहते हैं।

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