साहूकारों के दबाव में आया परिवार, आर्थिक तंगी ने ली दो जानें

 


बिजनौर :  जिले के नूरपुर थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है। मंगलवार को टेंडरा गांव में एक ही परिवार के चार सदस्यों ने सामूहिक रूप से जहर खा लिया। इस घटना में मां और बड़ी बेटी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पिता और छोटी बेटी की हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया गया है। यह हृदयविदारक घटना एक परिवार की उस आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव को उजागर करती है, जिससे वह लंबे समय से जूझ रहा था।

घटना के अनुसार, टेंडरा गांव निवासी पुखराज और उसका परिवार साहूकारों से लिए गए कर्ज के चलते भारी तनाव में था। बताया गया है कि पुखराज ने साहूकारों से ब्याज पर कर्ज लिया था और समय पर भुगतान न कर पाने के कारण लगातार दबाव और धमकियों का सामना कर रहा था। आर्थिक रूप से टूट चुके इस परिवार ने आखिरकार एक ऐसा कदम उठा लिया, जिससे दो जिंदगियां समाप्त हो गईं और दो अन्य जीवन-मृत्यु के बीच जूझ रहे हैं।

सामूहिक जहरखोरी की यह घटना मंगलवार की सुबह सामने आई, जब पड़ोसियों ने परिवार के सदस्यों को अचेत अवस्था में देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से चारों को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मां रमेशिया और बड़ी बेटी अनीता को मृत घोषित कर दिया। वहीं, पुखराज और उसकी छोटी बेटी सुनीता की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। मृतकों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस ने मौके से साक्ष्य जुटाने के साथ-साथ गांव में लोगों से भी पूछताछ शुरू कर दी है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि परिवार ने यह कदम किन परिस्थितियों में उठाया।

प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि साहूकारों द्वारा लगातार की जा रही वसूली और धमकी भरी भाषा ने परिवार को मानसिक रूप से बुरी तरह प्रभावित किया था। गांव के कुछ लोगों ने बताया कि पुखराज और उसका परिवार पिछले कुछ समय से अत्यंत परेशान थे और कई बार यह बात उनके व्यवहार में भी झलकती थी, लेकिन किसी को अंदेशा नहीं था कि वे इस हद तक टूट जाएंगे।

यह घटना प्रदेश में कर्ज और आर्थिक तंगी की भयावह स्थिति की ओर इशारा करती है, जहां निजी साहूकारों से कर्ज लेने वाले परिवार अक्सर ऐसे दबावों का शिकार हो जाते हैं। सामाजिक संगठनों और ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि कर्ज से परेशान इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। साथ ही पीड़ित परिवार की बची हुई सदस्य और उनके उपचार में प्रशासन को पूरी सहायता देनी चाहिए।

यह मामला केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है कि जब आर्थिक संकट और सामाजिक दबाव हद से पार हो जाता है, तो एक सामान्य परिवार भी असामान्य निर्णय लेने को विवश हो जाता है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी संवेदनशीलता और तत्परता दिखाता है, ताकि अन्य परिवारों को इस तरह की भयावह परिस्थितियों से गुजरना न पड़े।

टिप्पणियाँ