12 जिंदगियों के जाने से गांव में शोक की लहर, पुलिस ने व्यवस्था रखी बरकरार
आगरा : कुसियापुर गांव में बुधवार को उटंगन नदी हादसे के बाद सन्नाटा पसरा रहा। गांव के 11 परिवारों के घरों में मातम छाया हुआ है। दशहरा के दिन प्रतिमा विसर्जन के दौरान 12 युवकों के डूबने से हुई मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया। हादसे में ओमपाल, गगन व उसका भाई हरेश, अभिषेक, भगवती, ओकेश, सचिन, दीपक, करन, गजेंद्र, करन और वीनेश की जानें गईं। नदी किनारे बने श्मशान घाट पर तीन दिनों में 12 चिताएं जलाई गईं।
पिता यादव सिंह अपने दोनों बेटों गगन और हरेश को खोकर सदमे में हैं। गगन का शव घटना के दिन ही बरामद हुआ था, जबकि हरेश का शव पांचवें दिन मिला। घर के दोनों चिराग बुझ जाने से परिवार और गांव में करुण क्रंदन गूंज रहा है। सचिन, जो 11वीं कक्षा का छात्र और एनसीसी कैडेट था, सेना में भर्ती होने का सपना देखता था। मंगलवार को उसका शव नदी से बरामद हुआ और परिवार और गांव के लोग रो पड़े।
हादसे के बाद सर्च ऑपरेशन में सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार नदी में तलाश में लगी रहीं। ग्रामीणों ने भी बरामदगी में देरी होने पर आक्रोश जताया और दो दिन सड़क पर जाम लगाया। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार सहित अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और कानून व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया।
घटनास्थल पर दो दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोग भी पहुंचे। पुलिस ने 107 कर्मियों को तैनात किया और पीड़ित परिवारों को संयम बरतने की सलाह दी। हादसे ने न केवल परिवारों को अपूरणीय क्षति दी है, बल्कि पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है।
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