सीआरपीएफ जवान मोती राम जाट गिरफ्तार, पाक खुफिया एजेंसी को जानकारी लीक करने का आरोप
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि जवान ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील और वर्गीकृत जानकारी लीक की है। गिरफ्तार किए गए जवान की पहचान मोती राम जाट के रूप में हुई है, जो वर्ष 2023 से कथित रूप से जासूसी गतिविधियों में संलिप्त था।एनआईए के प्रवक्ता के अनुसार, प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जाट विभिन्न डिजिटल और अन्य चैनलों के माध्यम से संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों (PIOs) को भेज रहा था। इसके बदले में उसे आर्थिक लाभ भी मिल रहा था, जिसकी छानबीन एजेंसी कर रही है।सोशल मीडिया की नियमित निगरानी के दौरान उसकी संदिग्ध गतिविधियों का पता चला, जिसके बाद केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से जांच शुरू की गई।
जांच में जब यह पुष्टि हुई कि उसने सेवा प्रोटोकॉल और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया है, तो उसे 21 मई को सीआरपीएफ सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।इसके बाद एनआईए ने उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया और पटियाला हाउस स्थित विशेष अदालत में पेश किया, जहाँ से अदालत ने उसे 6 जून तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया। एजेंसी अब उससे गहन पूछताछ कर रही है ताकि पता लगाया जा सके कि वह किस हद तक जानकारी साझा कर चुका है और उसके नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हैं।यह गिरफ्तारी ऐसे समय पर हुई है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां पहले से ज्यादा सतर्क हैं। एनआईए समेत तमाम एजेंसियां विध्वंसकारी गतिविधियों और संभावित जासूसी नेटवर्क पर कड़ी नजर रख रही हैं।
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बल राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है। जो भी देश की सुरक्षा और सेवा मानदंडों का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” बल की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जांच में पूरा सहयोग किया जा रहा है।एनआईए अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या जाट किसी बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा था और क्या उसने अकेले यह कृत्य किया या किसी गिरोह के निर्देश पर काम कर रहा था। साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि उसने कौन-कौन सी जानकारियां साझा की और उनके बदले उसे कितनी राशि या संसाधन प्राप्त हुए।इस मामले ने एक बार फिर यह उजागर किया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा पर साइबर माध्यमों से हो रहे हमलों और जासूसी प्रयासों को लेकर सतर्कता बढ़ाना समय की आवश्यकता है। एनआईए की यह कार्रवाई भविष्य में ऐसी किसी भी गतिविधि को रोकने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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