थाईलैंड में युवा और छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शनकारियों का कोई एक नेता नहीं है बल्कि इसमें तीन संगठनों की अहम भूमिका है। थाईलैंड में सरकार की नीतियों के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसे 'रिवोल्यूशन' यानि की 'जनक्रांति' का नाम दिया जा रहा है। यहां हो रहे प्रदर्शनों में छात्रों और युवाओं की खासा उपस्थिति देखी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शनकारियों का कोई एक नेता नहीं है बल्कि इसमें तीन संगठनों की अहम भूमिका है। जिनमें फ्री यूथ मूवमेंट, यूनाइटेड फ्रंट ऑफ थाम्मासात एंड डेमोन्ट्रेशन और बैड स्कूल स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ हाई स्कूलर्स शामिल हैं। 



क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग


प्रदर्शनकारियों की मांग है कि प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा अपना पद छोड़ें। संविधान में संशोधन किया जाए और देश के राजतंत्र में सुधार हो। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे थे लेकिन उन्होंने अपने इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया। इसी बीच, 15 अक्टूबर को सख्त आपातकाल की घोषणा की गई। दंगा निरोधी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर बितर कर दिया। कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया। हालांकि, सरकार ने 22 अक्टूबर को आपातकाल समाप्त कर दिया। विरोध प्रदर्शन छोड़े शांत हुए लेकिन प्रदर्शनकारियों ने गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो वे तीन दिनों बाद फिर से विरोध-प्रदर्शन शुरु करेंगे।


आखिर क्यों हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन ?


विरोध प्रदर्शन के पीछे की बातें जानने के लिए आपको 2016 के घटनाक्रमों पर ध्यान देना होगा। दरअसल, दिसंबर 2016 में महा वजीरालोंगकोर्न यहां के राजा बने थे और प्रधानमंत्री चान ओचा 2014 से सत्ता में हैं। ऐसे में कहा जा रहा था कि राजा और प्रधानमंत्री के बीच में सांठ गांठ हुई है और इसी सांठ गांठ की बातों से यहां के लोग नाराज हैं। 


थाईलैंड की जनता राजा महा वजीरालोंगकोर्न से इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि वह अपना अधिकतर समय यूरोप में ही बिताते हैं। जबकि प्रधानमंत्री से नाराज होने के पीछे का कारण यह बताया जा रहा है कि उन्होंने संविधान में संशोधन कर राजतंत्र को और ज्यादा शक्तिशाली बना दिया है। जिससे यहां की जनता काफी खफा है और प्रदर्शनकारियों चाहते हैं कि 2017 में राजा की संवैधानिक शक्तियों को बढ़ाने वाले फैसले को वापस लिया जाए।


क्या है सरकार का रुख


प्रदर्शनकारियों को लेकर सरकार का रुख साफ था कि जब तक प्रदर्शन शांतिपूर्वक चल रहे हैं, तब तक उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि, सरकार ने 15 अक्टूबर को आपातकाल लागू कर दिया था। ऐसे में 4 से ज़्यादा लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लग गया था फिर भी प्रदर्शनकारी एकत्रित होते रहे और अपनी मांगों को दोहराते रहे। फिर बाद में सरकार ने आपातकाल को वापस ले लिया था।


Source:Agency News


 


 


 



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