मैं मजदूर हूँ,

 कविता



आकांक्षा राय


शायद, इस लिए अपने किस्मत से दूर हूँ| 


सपनो के आसमान मे जीता हूं 


उम्मीद के बागान को सिचता हूँ 


हैं ,मेरे भी कुछ ,सपने कुछ अरमान?


सच कहता हूँ ?मेरे भी हैं कुछ स्वाभिमान|


मैं मजदूर हूँ 


शायद इस लिए अपने किस्मत से दूर हूँ |


तन को ढकने के लिए फटा लिबास हैं 


पर फिर भी मेरे जिंदगी मे उल्लास हैं|


कंधो पर कुछ जिम्मेदारीया हैं जिसका मुझे एहसास हैं|


खुला अाकाश, है घर मेरा 


बिछाना मेरी, धरती है 


घास फूस के झोपडी मे


सिमटी मेरी बस्ती है|


गुजर रहा है जीवन अभावाे मे


पर फिर भी जिंदगी जी रहे है अपने मस्त स्वभाव मे|


जाे दिख रहा है वह सत्य है,


आत्म संतोष ही मेरे जीवन का एक मात्र लक्ष्य है|


तनावाे से लदा हूँ पर फिर भी 


अपने जीवन में अागे बढा हूँ|


मैं मजदूर हूँ 


शायद इसलिए अपने किस्मत से दूर हूँ|


 


नाम-आकांक्षा राय 


सुहवल,गाजीपुर


Source :Through E. Mail


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