भारतीय शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव का दिन, ग्रह मन्त्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, शिक्षा किसी भी राष्ट्र की बुनियाद है, भारतीय शिक्षा प्रणाली के इतिहास में भविष्योन्मुखी योजना, यह निभाएगी भारत के निर्माण में अद्वितीय भूमिका.


नई दिल्ली /  देश में अब नई शिक्षा नीति लागू हो जाएगी.. गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की जानकारी देते हुए बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का स्वागत करते हुए कहा कि आने वाले भविष्य को ध्यान में रखते हुए, नई शिक्षा नीति को तैयार किया गया है. शाह ने आगे कहा कि देश को नई शिक्षा नीति की बहुत अवाश्कयता थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह भारतीय शिक्षा प्रणाली के इतिहास में यह दिन यादगार और एक उल्लेखनीय दिन है.


गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते हुए लिखा.. ‘‘शिक्षा किसी भी राष्ट्र की बुनियाद है और पिछले 34 साल से भारत को इस तरह की एक भविष्योन्मुखी योजना की सख्त जरूरत थी.’’


ग्रह मन्त्री ने ऐतिहासिक नीतिगत निर्णय के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रिय मन्त्री रमेश पोखरियाल ” निशंक ” का शुक्रिया करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति नये भारत के निर्माण के लिए एक अहम भूमिका निभाएगी.इसके बाद शाह ने एक और ट्वीट में लिखा प्रधानमन्त्री मोदी के नेतृत्व वाले केन्द्रिय मन्त्रीमण्डल ने 21 वीं सदी के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को मन्ज़ूरी दे दी है. इस नई शिक्षा नीति के ज़रिये स्कूल और उच्च शिक्षा में ऐतिहासिक सुधार आएगें. शाह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का लक्ष्य समग्र और अलग-अलग विषय के ज़रिऐं भारतीय शिक्षा प्रणाली में बड़ा परिवर्तन लाना है.



 



 


10 अहम बड़ी बातें: देश में लागू होगी नई शिक्षा नीति, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक होंगे अहम बदलाव


  केंद्र सरकार ने बुधवार 29 जुलाई को देश में नई शिक्षा नीति की घोषणा की, देश में शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े बदलाव किए गए है. इस योजना को मोदी सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है. आईऐ जानते है कि क्या बदलाव हुए है और क्या है राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति-2020…..


 


देश में शिक्षा का जिम्मेदारी संभाल रहे मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर भी शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति के तहत प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी स्तर तक की शिक्षा में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. आपको बता दे कि 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति में ये बदलाव पेश किए गए है. खास बात यह है कि नई शिक्षा नीति के अनुसार प्राइमरी स्तर पर मातृ भाषा में शिक्षा का प्रावधान किया गया है तो ग्रेजुएशन स्तर पर डिग्री कोर्स को 4 साल तक का कर दिया गया है.



जानते है वे दस बदलाव जो नई शिक्षा नीति में लागू किए गए है-


नई शिक्षा नीति के अनुसार कम से कम कक्षा पांच तक या संभव हो तो कक्षा आठ और उसके आगे भी स्थानीय भाषा या मातृभाषा में पढ़ाई कराई जाएगी. यानी हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषय भाषा के पाठ्यक्रम के तौर पर तो होंगे, लेकिन बाकी पाठ्यक्रम स्थानीय भाषा या मातृभाषा में पढ़ाऐ जाएगें.


नई शिक्षा नीति के मुताबिक अब देश में 10+2 के आधार पर चलने वाली पद्धति में बदलाव होगा. अब ये 5+3+3+4 के हिसाब से पाठ्यक्रम होगा. यानी प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवी तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12वीं तक आखिरी हिस्सा होगा.


नई शिक्षा नीति में बोर्ड परीक्षाओं को तो बरकरार रखा गया है, लेकिन इन्हें ज्ञान आधारित बनाया जाएगा और उसमें रट्टामार कर याद करने की आदत को अब कम किया जाएगा.


 रिपोर्ट कार्ड अब तक केवल अध्यापक लिखता है लेकिन नई नीति के मुताबिक बच्चा स्कूली शिक्षा के दौरान अपनी रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में भी भूमिका निभाएगा. इसके साथ ही अब नई शिक्षा नीति में तीन हिस्से होंगे. पहला बच्चा अपने बारे में स्वयं मूल्यांकन करेगा, दूसरा उसके सहपाठियों से होगा और तीसरा अध्यापक के जरिए.


इतना ही नहीं, अब कक्षा छठीं से ही छात्रों को कोडिंग भी पढ़ाई जाएगी, जो कि स्कूली शिक्षा पूरी करने तक उनके कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) में मदद करेगी.


अंडर ग्रेजुएट कोर्स को अब 3 की बजाए 4 साल का कर दिया गया है. लेकिन छात्र 3 साल बाद अभी भी डिग्री हासिल कर पाएंगे, लेकिन 4 साल का कोर्स करने पर, सिर्फ 1 साल में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर पाएंगे. 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए, जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं करना है. हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी


इसके साथ ही नई शिक्षा नीति-2020 में ग्रेजुएशन के तीनों साल को और अधिक सार्थक बनाने का भी कदम उठाया गया है. इसके मुताबिक 1 साल बाद सर्टिफिकेट, 2 साल बाद डिप्लोमा और 3 साल बाद डिग्री हासिल हो जाएगी.


नई शिक्षा नीति के अनुसार Phil को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है,अब छात्र MA के बाद सीधे Phd कर पाएंगे.


इसके साथ ही नई शिक्षा नीति में निजी विश्वविधालय और गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी केदोनों के नियम अब एक होंगे. अब किसी भी डीम्ड यूनिवर्सिटी और सरकारी यूनिवर्सिटी के नियम अलग अलग नहीं होंगे.


नई नीति स्कूलों और एचईएस दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है. राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत, भारतीय अनुवाद संस्थान और व्या ख्या की स्थापना की जाएगी


Source :Agency news 


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