झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में व्यापक कुर्मी आंदोलन की तैयारी
हज़ारीबाग़ : कुर्मी समुदाय ने शनिवार को चरही रेलवे स्टेशन पर जोरदार "रेल रोको" विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जिससे सुबह 8 बजे से रेल परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। मांडू विधायक तिवारी महतो के नेतृत्व में हज़ारों पुरुष, महिलाएँ और युवा पटरियों पर बैठ गए और स्टेशन परिसर में पानी भर गया, जिससे सभी ट्रेनों की आवाजाही बाधित हो गई। अचानक ट्रेनें रुकने से यात्रियों में निराशा और अचंभा फैल गया, कई लोग घंटों तक फंसे रहे।
रेलवे अधिकारियों ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है और स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया है। स्थानीय प्रशासन ने भारी सुरक्षा बल लगा कर मामले पर कड़ी नजर रखी। प्रदर्शनकारियों ने अपने समुदाय द्वारा झेली जा रही कथित उपेक्षा को उजागर करते हुए नारे लगाए। उनकी मुख्य मांगों में कुर्मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करना और संविधान की आठवीं अनुसूची में कुर्माली भाषा को आधिकारिक मान्यता देना शामिल है।
समुदाय के सदस्यों ने कहा कि दशकों तक भेदभाव सहने के बाद अब अपनी आवाज़ उठाना अनिवार्य है। एक सदस्य ने कहा, "हमने अपनी शिक्षा पूरी कर ली है, लेकिन हमें क्या हासिल हुआ? कुछ भी नहीं। हमें अच्छी नौकरियाँ नहीं मिलीं और हम अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य चाहते हैं। एसटी कोटे के लाभ अन्य पिछड़ा वर्ग को नहीं मिलते, इसलिए हम एसटी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।"
सभा को संबोधित करते हुए मांडू विधायक तिवारी महतो ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा ठोस आश्वासन दिए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक शांतिपूर्ण विरोध है, लेकिन यदि जायज़ मांगों को अनदेखा किया गया तो आंदोलन और तेज़ होगा।
यह नाकाबंदी झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कुर्मी संगठनों द्वारा 20 सितंबर से शुरू होने वाले व्यापक आंदोलन की लहर का हिस्सा है। क्षेत्र में इस प्रदर्शन ने हलचल मचा दी है और अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती पेश की है। पिछले प्रयासों में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने की मांग विधायी मंचों पर बार-बार खारिज होती रही है, जिससे समुदाय ने फिर से कार्रवाई की माँग उठाई है।
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