पेपर लीक प्रकरण: सीबीआई जांच की मांग के साथ बेरोजगारों ने किया प्रदर्शन

 


देहरादून : उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक होने का गंभीर आरोप लगाया है, जिसके चलते प्रदेश भर के बेरोजगार युवा गुस्से में सड़कों पर उतर आए हैं। यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तरीय परीक्षा रविवार सुबह 11 बजे से प्रदेश के 445 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी। लेकिन बेरोजगार संघ का दावा है कि परीक्षा शुरू होने के महज 35 मिनट बाद, यानी सुबह 11:35 बजे, परीक्षा का एक सेट लीक हो गया। संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से पेपर लीक हुआ है। उनका कहना था कि परीक्षा की गोपनीयता पूरी तरह से भंग हो गई है और इस लीक किए गए पेपर और अभ्यर्थियों द्वारा हल किए गए पेपर में कई सवाल मिलान किए गए, जो कि स्पष्ट रूप से परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।

बेरोजगार युवा इस बात से भी नाराज हैं कि प्रदेश वर्तमान में आपदा प्रभावित है और ऐसे समय में परीक्षा आयोजित करना उचित नहीं था। संघ ने 21 सितंबर को होने वाली परीक्षा को स्थगित करने की मांग पहले ही मुख्यमंत्री और यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष से की थी। लेकिन उनके अनुरोधों को नजरअंदाज किया गया, जिससे युवाओं में गुस्सा और असंतोष पैदा हुआ।

आज परेड मैदान में एकत्र हुए युवा और संघ के पदाधिकारी इस मुद्दे को लेकर रणनीति बना रहे थे और सचिवालय की ओर कूच करने का निर्णय लिया। इस दौरान उन्होंने सरकार से मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई द्वारा कराई जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पेपर कैसे लीक हुआ और किनके द्वारा यह घटना संभव हुई। संघ के नेताओं का कहना था कि यह केवल एक परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि राज्य में युवाओं के भविष्य और भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता से जुड़ा मुद्दा है।

युवाओं ने सड़कें जाम कर प्रदर्शन किया और जोर देकर कहा कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे और बड़े पैमाने पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। बेरोजगार संघ ने सरकार से कहा कि उन्हें परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करने और भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

इस विवाद ने प्रदेश में यूकेएसएसएससी की परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह दिखा दिया है कि युवा अब केवल परीक्षा के परिणाम तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय की मांग भी कर रहे हैं। सरकार और आयोग पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह इस मामले की गंभीरता को समझे और शीघ्र कार्रवाई करे, ताकि बेरोजगार युवाओं का भविष्य सुरक्षित रहे और प्रदेश में भर्ती प्रणाली पर जनता का विश्वास बना रहे।

टिप्पणियाँ