मंदिर समितियों का दावा – इस बार ऐतिहासिक होगा जन्माष्टमी का नजारा
देहरादून : जन्माष्टमी की तैयारियां पूरे शबाब पर हैं। शहर के सभी प्रमुख मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों से सजे हुए हैं। हर जगह का नजारा कृष्णमय हो चुका है। इस बार जन्माष्टमी को और भी खास बनाने के लिए मंदिर समितियों ने भव्य कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। विभिन्न धार्मिक आयोजन, आकर्षक झांकियां और सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं इस पर्व को और भी शानदार बनाने वाली हैं।
कई मंदिरों में वृंदावन से आए कलाकार अपनी विशेष प्रस्तुतियां देंगे। उनके द्वारा प्रस्तुत मयूर नृत्य, दीप नृत्य, लठमार होली, लड्डू होली, डांडिया और रासलीला संस्कृति की झलक कराएंगे। इन आयोजनों में स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आए श्रद्धालु भी शामिल होंगे। जगह-जगह मटकी फोड़ प्रतियोगिताएं होंगी, जिसमें युवाओं की टोली उत्साह और उमंग के साथ भाग लेगी। इसके अलावा, बच्चों को कान्हा का रूप धारण कर कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिलेगा और सर्वश्रेष्ठ बाल गोपाल को पुरस्कृत भी किया जाएगा।
जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार दून के कई मंदिरों में शुक्रवार को तो कुछ जगह शनिवार को भी पर्व मनाया जाएगा। मंदिर समितियों ने सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। लाइटिंग से लेकर फूलों की सजावट तक हर चीज आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। श्रीकृष्ण और राधा की चमचमाती लाइटों से सजे मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच रहे हैं।
सुबह से शाम तक मंदिरों में कीर्तन मंडलियां पहुंचकर कृष्ण भजनों की गूंज फैलाएंगी। भजन और कीर्तन से वातावरण भक्तिमय बनेगा। श्रद्धालु पूरे दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का इंतजार करेंगे और रात 12 बजे आरती व जन्मोत्सव के समय मंदिरों में विशेष भीड़ उमड़ेगी।
मंदिर समितियों से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि इस बार दून में जन्माष्टमी का नजारा ऐतिहासिक होने वाला है। सजावट, भव्य कार्यक्रमों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ यह पर्व श्रद्धालुओं की आस्था और उल्लास दोनों को एक नई ऊंचाई देगा। शहर के हर कोने में जन्माष्टमी की धूम दिखाई दे रही है और लोगों में उत्साह का माहौल है।
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