सीएम धामी की किसान भावना: धान रोपते हुए बोले- अन्नदाता हमारी रीढ़ हैं

 


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को खटीमा के नगरा तराई क्षेत्र में अपने पैतृक खेत में धान की रोपाई कर एक बार फिर अपनी जड़ों से जुड़ाव और किसानों के प्रति सम्मान का भाव प्रकट किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री खुद खेत में उतरकर मिट्टी से सने हाथों से धान की पौध रोपते नजर आए। इस दृश्य ने न केवल ग्रामीण जीवन की सादगी को दर्शाया, बल्कि मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता और किसान हितैषी सोच को भी उजागर किया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि खेतों में उतरना उनके लिए भावुक क्षण रहा और इससे पुराने दिनों की स्मृतियाँ ताजा हो गईं। उन्होंने कहा कि अन्नदाता केवल खाद्य सुरक्षा नहीं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी हैं। उनके श्रम, त्याग और समर्पण के बिना किसी भी समाज का विकास संभव नहीं है। किसानों की मेहनत से ही देश की जीवनरेखा चलती है और उनकी समृद्धि ही राज्य और राष्ट्र की समृद्धि का आधार है।

अपने अनुभव को साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट भी साझा किया जिसमें उन्होंने लिखा कि खटीमा के नगरा तराई में अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के श्रम, त्याग और समर्पण को अनुभव कर पुराने दिनों का स्मरण किया। उन्होंने अन्नदाताओं को देश की संस्कृति और परंपरा का संवाहक बताते हुए उन्हें प्रणाम किया।

मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी स्मरण किया। उन्होंने भूमि के देवता भूमियां, पानी के देवता इंद्र और छाया के देव मेघ की "हुड़किया बौल" के माध्यम से वंदना की। हुड़किया बौल, उत्तराखंड की पारंपरिक लोकगायन शैली है, जो खेतों में काम करते समय गाई जाती है और सामूहिक ऊर्जा का संचार करती है। मुख्यमंत्री द्वारा इस परंपरा को जीवंत करना न केवल राज्य की सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान को दर्शाता है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि आधुनिकता के दौर में भी परंपराओं से जुड़ाव बना रहना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री का यह कदम निश्चित रूप से किसानों के मनोबल को बढ़ाने वाला है और सरकार की किसान हितैषी सोच को मजबूत आधार देता है। उनके इस व्यवहारिक और भावनात्मक जुड़ाव से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार न केवल नीति स्तर पर, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी किसानों के साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री के इस प्रयास को स्थानीय ग्रामीणों और किसानों ने भी सराहा और इसे एक प्रेरणादायक पहल बताया।

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