कुमायूं-गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में ट्रॉमा सेंटर और आईवीएफ सुविधा जल्द

 


देहरादून : मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला एवं उप जिला अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं की समग्र समीक्षा की। यह बैठक राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सशक्त, प्रभावी तथा सुगम बनाने के उद्देश्य से बुलाई गई थी। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अस्पतालों में कार्यरत रेफरल सिस्टम पर नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे अव्यवस्थित और अनावश्यक बताया।

मुख्य सचिव ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि जो भी चिकित्सा सुविधाएं जिला और उप जिला अस्पतालों में उपलब्ध हैं, उनसे संबंधित रोगियों का उपचार वहीं किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं गंभीर रोगियों या घायलों को उच्च केंद्रों (हायर सेंटर्स) के लिए रेफर किया जाए जिनका इलाज जिला स्तर पर संभव न हो। उन्होंने रेफरल की प्रक्रिया में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व तय करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे सरकारी अस्पतालों की क्षमताओं का भरपूर उपयोग हो सके और हायर सेंटर्स पर अनावश्यक बोझ कम किया जा सके।

बैठक में मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए कि सभी जिला अस्पतालों में सामान्य एवं विशेष प्रकार की जांचों की सुविधा अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने यूरिन कल्चर जैसी महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीव संबंधी जांचों के लिए माइक्रोबायोलॉजिस्ट की तैनाती शीघ्र सुनिश्चित करने को कहा। मुख्य सचिव ने इस दिशा में सभी अस्पतालों में परीक्षण क्षमताओं के सुदृढ़ीकरण और आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक कदम उठाने को कहा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं जांचों को निजी (आउटसोर्स) एजेंसियों से कराया जाए जो सरकारी अस्पतालों में तकनीकी रूप से संभव न हो।

इसके साथ ही मुख्य सचिव ने सभी जिलों से वहां के अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं, डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और उपकरणों की सटीक रिपोर्ट तत्काल प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह जानकारी नीति निर्माण और संसाधन आवंटन में बेहद सहायक सिद्ध होगी और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने के प्रयासों को दिशा देगी।

मुख्य सचिव ने 108 एम्बुलेंस सेवा तथा अन्य विभागीय एम्बुलेंस वाहनों की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया कि प्रदेश में वर्तमान में संचालित सभी एम्बुलेंस वाहनों की तकनीकी जांच कराई जाए और जो वाहन पुराने या अनुपयोगी हो गए हैं उन्हें तत्काल बदला जाए। उन्होंने यह भी कहा कि एम्बुलेंस को बदलने की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जाए ताकि आपात स्थिति में लोगों को त्वरित एवं सुरक्षित सेवाएं मिल सकें।

बैठक में पर्वतीय क्षेत्रों की विशेष चिकित्सा आवश्यकताओं पर भी गंभीरता से चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने सचिव स्वास्थ्य को निर्देशित किया कि कुमायूं एवं गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में एक-एक आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सुविधा केंद्र तथा एक-एक ट्रॉमा सेंटर की स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में समय पर और आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक कदम है, जिसे प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र प्रारंभ किया जाना चाहिए।

इस बैठक में सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने प्रदेश के विभिन्न जिला एवं उप जिला अस्पतालों में वर्तमान में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं, स्टाफ की स्थिति, आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता तथा आगामी योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।

बैठक में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के उच्च अधिकारियों सहित प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, श्री एल. फैनयी, श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव श्री शैलेश बगौली, श्री नितेश कुमार झा, श्रीमती राधिका झा, श्री सचिन कुर्वे, श्री दिलीप जावलकर, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, श्री रविनाथ रमन, डॉ. पंकज कुमार पांडेय, श्री चंद्रेश कुमार यादव, श्री विनोद कुमार सुमन, आयुक्त कुमायूं श्री दीपक कुमार, आयुक्त गढ़वाल श्री विनय शंकर पांडेय सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी और प्रदेशभर के सभी जिलाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहे।

यह बैठक प्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली को व्यवस्थित और नागरिकों के लिए अधिक सुलभ बनाने की दिशा में एक ठोस पहल मानी जा रही है, जिससे भविष्य में सरकारी अस्पतालों की कार्यक्षमता में सुधार और नागरिकों को गुणवत्तापरक चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित की जा सकेंगी।

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