यमन में डॉ. के.ए. पॉल का बड़ा दावा: निमिषा को जल्द भारत लाया जाएगा
यमन में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के संस्थापक और प्रचारक डॉ. के.ए. पॉल ने यमन की राजधानी सना से एक वीडियो संदेश जारी करते हुए दावा किया है कि भारतीय और यमनी नेताओं के कई दिनों और रातों की मेहनत रंग लाई है और निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द कर दी गई है। यह दावा ऐसे समय में आया है जब भारत सरकार इस संवेदनशील मामले को लेकर लगातार यमन के स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में रही है।
डॉ. पॉल ने अपने वीडियो संदेश में यमन के उन नेताओं का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस कठिन प्रक्रिया में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि पिछले दस दिनों से अनेक यमनी नेता दिन-रात सक्रिय रहकर निमिषा प्रिया की सजा को पलटवाने के प्रयास में लगे हुए थे और उनके "शक्तिशाली और प्रार्थनापूर्ण प्रयासों" के कारण ही यह सफलता हासिल हो सकी है। उन्होंने कहा, "मैं उन सभी नेताओं को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने निमिषा की मौत की सजा रद्द करवाने में मदद की। ईश्वर की कृपा से अब वह रिहा होगी और भारत लाई जाएगी।"
डॉ. पॉल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सराहना की और कहा कि प्रधानमंत्री ने निमिषा की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अपने राजनयिकों को भेजने की तैयारी की है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वे खुद यमन के सना जेल से ओमान, जेद्दा, मिस्र, ईरान या तुर्की के ज़रिए भारत सरकार के साथ मिलकर निमिषा की सुरक्षित वापसी की रसद व्यवस्था करने को तैयार हैं।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय भी लगातार सक्रिय रहा है। पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस वार्ता में बताया था कि सरकार यमन में स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है और भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को हरसंभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि इस जटिल कानूनी प्रक्रिया से निपटने में परिवार की मदद के लिए एक वकील नियुक्त किया गया है, जो शरिया कानून के तहत क्षमादान या माफ़ी के विकल्पों को तलाशने में सहायता कर रहा है।
प्रवक्ता जायसवाल ने यह भी जानकारी दी थी कि भारत सरकार ने निमिषा के परिवार के लिए नियमित कांसुलर मुलाकातों की व्यवस्था की है और परिजनों को स्थानीय अधिकारियों और यमन में दूसरे पक्ष के साथ संवाद करने के लिए अतिरिक्त समय दिलाने के प्रयास किए गए हैं। विदेश मंत्रालय द्वारा यह भी पुष्टि की गई थी कि यमन की स्थानीय अदालत ने 16 जुलाई को दी जाने वाली मौत की सजा की तामील को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
निमिषा प्रिया का मामला वर्ष 2017 से यमन में चल रहा है, जब उन्हें एक स्थानीय नागरिक की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। हालांकि, भारत सरकार और सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयासों से यह मामला अब एक सकारात्मक मोड़ लेता दिख रहा है। यदि डॉ. के.ए. पॉल का दावा सही साबित होता है, तो यह भारत और यमन के बीच मानवीय आधार पर कूटनीतिक सफलता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण होगा।
अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में निमिषा प्रिया की रिहाई कब और कैसे होती है, और क्या यह दावा आधिकारिक रूप से यमन सरकार या भारत सरकार द्वारा भी पुष्टि प्राप्त करता है। फिलहाल, इस मामले ने एक नई आशा को जन्म दिया है – खासकर उनके परिवार और उन हजारों लोगों के लिए जो वर्षों से उनकी रिहाई की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
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