बिहार में एसआईआर पर घमासान, विपक्ष ने बताया लोकतंत्र पर हमला
नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने बिहार में चल रहे विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) अभ्यास के विरोध में एकजुट होकर आवाज बुलंद की। संसद भवन के मकर द्वार के पास विपक्षी सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, राजद नेता मनोज झा और मीसा भारती सहित कई प्रमुख सांसद शामिल हुए।
प्रदर्शन के दौरान विपक्षी नेताओं ने ‘नहीं चलेगा-नहीं चलेगा, एसआईआर नहीं चलेगा’ और ‘वोटबंदी बंद करो’ जैसे नारों के साथ अपना विरोध दर्ज कराया। कई सांसद हाथों में तख्तियां लेकर खड़े नजर आए, जिन पर एसआईआर के खिलाफ नारों के साथ-साथ लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों की रक्षा की मांग भी लिखी हुई थी।
कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे इस मुद्दे को सदन के भीतर जोरशोर से उठाएंगे। उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है कि रातों-रात लाखों लोगों को मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और निर्वाचन आयोग को इस मुद्दे पर अपने कदम पीछे खींचने होंगे।
प्रदर्शन से पहले 'इंडिया' गठबंधन से जुड़े दलों के सदन नेताओं ने बैठक कर मानसून सत्र की रणनीति तैयार की और यह तय किया कि एसआईआर के खिलाफ विपक्ष एकजुट होकर सदन में सरकार को घेरने का काम करेगा। विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर की आड़ में मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर लोगों को हटाया जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
विपक्षी नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह सिर्फ बिहार तक सीमित मुद्दा नहीं है, बल्कि इससे देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर खतरा मंडरा रहा है और वे इस मुद्दे को किसी भी सूरत में दबने नहीं देंगे। संसद परिसर के बाहर हुए इस शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली विरोध प्रदर्शन से मानसून सत्र के आगे के घटनाक्रम और राजनीतिक तापमान में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
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