उत्तराखंड में अगले पांच दिन बारिश के नाम, पर्वतीय क्षेत्रों में तेज बौछारों की आशंका
देहरादून: देहरादून, टिहरी, नैनीताल और चंपावत जिलों में मानसून की गतिविधियाँ लगातार सक्रिय बनी हुई हैं। गुरुवार के लिए मौसम विभाग ने इन चारों जिलों में यलो अलर्ट जारी किया है। यलो अलर्ट के अंतर्गत बिजली चमकने और तेज बारिश के दौर की संभावना जताई गई है। मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी ताजा पूर्वानुमान के अनुसार, इन जिलों के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश के कई दौर देखने को मिल सकते हैं। बारिश की यह स्थिति खासकर पर्वतीय इलाकों में अधिक तीव्र हो सकती है।
मौसम विज्ञानी रोहित थपलियाल ने जानकारी दी कि आने वाले पांच दिनों तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में वर्षा की गतिविधियां बनी रहेंगी। पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर भारी से अति भारी बारिश की आशंका है, जिससे भूस्खलन और मार्ग अवरुद्ध होने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। खासकर यात्रियों और पर्यटकों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। प्रशासन द्वारा भी संबंधित जिलों में सतर्कता बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
देहरादून की बात करें तो बुधवार को हल्की बारिश के बाद दिन में धूप निकल आई, जिससे तापमान में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई। राजधानी देहरादून में अधिकतम तापमान में 2.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान में 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि यह वृद्धि अस्थायी मानी जा रही है क्योंकि अगले कुछ दिनों में लगातार वर्षा की संभावना व्यक्त की गई है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, गुरुवार को देहरादून समेत अन्य जिलों में गर्जना के साथ कई दौर की बारिश होने की संभावना है। बारिश के इन दौरों के कारण अधिकतम तापमान में लगभग 1.4 डिग्री की गिरावट हो सकती है। इससे मौसम में ठंडक का असर दिखाई देगा, हालांकि उमस बनी रह सकती है।
मौसम विभाग ने विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से अनुरोध किया है कि वे मौसम की ताज़ा जानकारी पर नजर बनाए रखें और अनावश्यक यात्रा से बचें। प्रशासन ने भी संबंधित आपदा प्रबंधन इकाइयों को सतर्क कर दिया है ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति में त्वरित राहत और बचाव कार्य शुरू किए जा सकें। साथ ही, नदी किनारे और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
राज्य में मानसून का यह दौर सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में। ऐसे में राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा आपसी समन्वय के साथ लगातार निगरानी की जा रही है ताकि मौसम से जुड़ी चुनौतियों का समय रहते समाधान किया जा सके और किसी भी प्रकार की जनहानि न हो।
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