एम्स ट्रॉमा सेंटर में ट्रांसफॉर्मर में लगी आग,आठ दमकल गाड़ियों ने 21 मिनट में पाया आग पर काबू
दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रॉमा सेंटर में गुरुवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक इलेक्ट्रिक ट्रांसफॉर्मर में आग लग गई। आग की सूचना मिलते ही आपातकालीन सेवाएं हरकत में आ गईं और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कदम उठाए गए। दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आग बुझाने के लिए पांच दमकल गाड़ियों को तत्काल घटनास्थल पर रवाना किया गया।
डीएफएस प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि उन्हें दोपहर 3:34 बजे ट्रॉमा सेंटर में एक ट्रांसफॉर्मर में विस्फोट और आग लगने की सूचना मिली थी। इसके बाद एहतियातन कुल आठ दमकल गाड़ियां मौके पर भेजी गईं। दमकलकर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए मात्र 21 मिनट के भीतर, यानी दोपहर 3:55 बजे तक आग पर पूरी तरह काबू पा लिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस घटना में किसी के घायल होने या किसी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
घटना के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा एहतियाती उपाय अपनाते हुए ट्रॉमा सेंटर के आसपास के क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति की जांच की गई और यह सुनिश्चित किया गया कि मरीजों के इलाज में कोई व्यवधान न आए। ट्रॉमा सेंटर में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था।
उधर, एम्स से जुड़े एक अन्य मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में ग्रीन पार्क एक्सटेंशन और उसके आसपास के इलाकों में जलभराव की समस्या के समाधान के लिए सीवर लाइन बिछाने की जरूरत को रेखांकित किया था। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने इस संबंध में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि जलभराव की समस्या से निपटने के लिए एम्स परिसर के भीतर सीवर लाइन की आवश्यकता है।
दिल्ली जल बोर्ड की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, प्रस्तावित सीवर लाइन की कुल लंबाई 200 मीटर से अधिक नहीं होगी और इसके लिए एम्स परिसर के अंदर केवल 130 मीटर भूमि की जरूरत पड़ेगी। न्यायालय ने 18 जून के आदेश में जल बोर्ड के इस प्रस्ताव को संज्ञान में लेते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस पर शीघ्र कार्यवाही की जाए ताकि मानसून के दौरान जलभराव की स्थिति से बचा जा सके।
दोनों घटनाएं इस ओर संकेत करती हैं कि एम्स परिसर में सुरक्षा और बुनियादी ढांचे की मजबूती को लेकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, जिससे न केवल मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके बल्कि अस्पताल की कार्यक्षमता भी बनी रहे
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