हाइब्रिड बनाम इलेक्ट्रिक: उत्तराखंड में वाहन नीति पर औद्योगिक टकराव

 


देहरादून: उत्तराखंड सरकार द्वारा हाइब्रिड कारों को वाहन कर में 100 प्रतिशत छूट देने का फैसला फिलहाल विरोध के चलते अधर में लटक गया है। यह निर्णय उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों की तर्ज पर राज्य में हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया था, लेकिन स्थानीय निवेशक ऑटो कंपनियों के विरोध के चलते अब सरकार इस पर पुनर्विचार कर रही है। टाटा और महिंद्रा जैसी देश की अग्रणी वाहन निर्माता कंपनियों ने इस फैसले को अपने व्यापारिक हितों के खिलाफ बताया है और इसे वापस लेने की मांग की है।

सरकार ने जून के पहले सप्ताह में कैबिनेट बैठक के दौरान उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम में केंद्रीय मोटरयान नियमों के तहत संशोधन करते हुए प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन और स्ट्रांग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कारों को 100 प्रतिशत वाहन कर छूट देने का प्रस्ताव पारित किया था। यह छूट वित्तीय वर्ष 2025-26 तक प्रभावी रहने वाली थी। इस निर्णय से हाइब्रिड कारों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आती और ग्राहक इन्हें उत्तराखंड में ही पंजीकृत कराते, जिससे राज्य को पंजीकरण संख्या में बढ़ोतरी और जीएसटी के रूप में राजस्व मिलता।

हालांकि, टाटा और महिंद्रा जैसे ब्रांड्स जिनके पास इस समय हाइब्रिड तकनीक वाली कारों की रेंज उपलब्ध नहीं है, उन्होंने सरकार को यह अवगत कराया कि इस फैसले से टोयोटा, मारुति और होंडा जैसी कंपनियों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा, जबकि उनकी ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) सेगमेंट की कारों का बाजार प्रभावित होगा। इन कंपनियों का यह भी कहना है कि उन्होंने राज्य में भारी निवेश किया है और नीति में ऐसा असंतुलन उनके कारोबारी हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।कंपनियों की ओर से किए गए विरोध और तर्कों को सरकार ने गंभीरता से लिया है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले समय में कैबिनेट में इस फैसले को रद्द करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है। फिलहाल इस विषय पर उच्च स्तर पर मंथन जारी है।

वहीं, परिवहन विभाग के अधिकारियों ने छूट का समर्थन करते हुए तर्क दिया था कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य पहले से ही हाइब्रिड वाहनों को टैक्स में छूट दे रहे हैं, जिसके चलते ग्राहक उत्तराखंड के बजाय उन राज्यों में अपनी हाइब्रिड कारों का पंजीकरण कराते हैं। विभाग के अनुसार, इससे वाहन मालिकों को तीन से साढ़े तीन लाख रुपये तक का लाभ होता है, लेकिन उत्तराखंड को पंजीकरण और टैक्स का नुकसान झेलना पड़ता है। वर्तमान में राज्य में हाइब्रिड कारों की संख्या बेहद सीमित है, और पिछले वर्ष मात्र 750 हाइब्रिड कारों का पंजीकरण हुआ था। छूट लागू होने की स्थिति में यह संख्या बढ़कर 2000 से अधिक पहुंचने की संभावना थी।अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार निवेश और कर लाभ के बीच संतुलन बनाते हुए किस दिशा में निर्णय लेती है। वर्तमान स्थिति में हाइब्रिड कार छूट योजना पर अंतिम निर्णय टल गया है और आने वाले दिनों में कैबिनेट के स्तर पर इसके भविष्य को लेकर अहम फैसला लिया जा सकता है।

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