गोर्खा समुदाय की अनदेखी भाजपा को पड़ेगी भारी






सारिका प्रधान

(पूर्व दर्जा मंत्री)

भारतीय जनता पार्टी ने अपना नारा दिया था " सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास"  केन्द्र में सत्तासीन सरकार और उत्तराखण्ड में मौजूदा सरकार अपने नारे पर कितना कायम है ये किसी से नहीं छिपा है। भाजपा की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। भले ही भाजपा चुनाव को लेकर बैलेंस बनाने और सबको साधने का दावा करती हो लेकिन  गोर्खा समाज भाजपा द्वारा अपने आपको दरकिनार किये जाने को लेकर आहत है, लिहाजा गोर्खा समुदाय किसी भी कीमत पर इस विधान सभा चुनाव में भाजपा से दो-दो हाथ करने को तैयार है।

ये उद्गार गोर्खा समाज की अध्यक्षा और पूर्व दर्जा राज्य मंत्री सुश्री सारिका प्रधान ने कहीं। उन्होंनेे कहा कि जो भी सरकार गोर्खा समाज को नजरअन्दाज करेगी उसे उसके प्रतिकूल परिणाम भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने कहा, कि अफसोस की बात है उत्तराखण्ड में लगभग 10 लाख गोर्खा समाज के लोग निवासरत हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में गोर्खा समाज के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी का कन्धे से कन्धा मिलाकर साथ दिया था, लेकिन सत्तासीन होते ही भारतीय जनता पार्टी ने गोर्खा समाज के साथ "यूज एण्ड थ्रो" वाली नीति अपनाई जिसे गोर्खा समाज कभी नहीं भूल सकता।

 सुश्री सारिका प्रधान ने कहा कि पिछले विधान सभा चुनाव में भले ही मोदी लहर की बात पार्टी के लोग करते हों लेकिन कुछ सीटें ऐसी थी जहां से भाजपा प्रत्याशी जीते ये सिर्फ गोर्खा समाज की ही देन थी। गाोर्खा समाज के वे लोग जिन्होंने भाजपा के लिए तन-मन से साथ रहकर काम किया वो भी सरकार आने के बाद अपने समाज की समस्याऔं को सरकार से हल नहीं करवा पाये जिसको लेकर वो अपने समाज के लोगों के सामने जाने से कतरा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गोर्खा समाज हमेशा अपनी जुबान पर कायम रहा है लेकिन भाजपा सरकार ने इस समाज की समस्याओं को नजर अन्दाज करने का काम किया है, ऐसे में उपेक्षित होने वाले गोर्खा समुदाय के नेता कार्यकर्ताओं का भाजपा से मोहभंग हो चुका है !  ऐसे में यदि समय रहते भाजपा सरकार गोर्खा समुदाय के प्रति सकारात्मक रूख नहीं अपनाती तो इस विधान सभा चुनाव में उसे लगभग एक दर्जन सीटों पर गोर्खा समाज की अनदेखी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।


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