देहरादून : श्रमिकों की छह हजार नई साइकिलें कबाड़ में तब्दील

 


  विकासनगर  /  सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का क्या हश्र होता है। इस सवाल का जवाब पाना है तो विकासनगर के पास लक्खनवाला चले आइए। 'साइकिल सहायता योजना' के तहत श्रमिकों को दी जाने वाली करीब 6000 साइकिलें गोदाम में रखी हैं। एक साल से पड़ी इन साइकिलों पर अब जंक लगने से पार्ट्स भी खराब हो चुके हैं। यहां तक कि घास भी उग आई है। अधिकारी अब मामले की जांच की बात कर रहे हैं।वर्ष 2015 में श्रम विभाग ने श्रमिकों के कल्याण के लिए मुफ्त साइकिल योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य था कि श्रमिक की आवाजाही सुगम हो सके। इसके लिए पात्रता की शर्त यह थी कि श्रमिक का 'भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड' में पंजीकरण हो। बोर्ड में करीब पौने चार लाख श्रमिक पंजीकृत हैं। श्रम विभाग की ओर से बीते छह वर्ष में लगभग एक लाख श्रमिकों को साइकिल दी जा चुकी हैं।इंटरनेट मीडिया पर साइकिलों की दुर्दशा का वीडियो वायरल हुआ तो अधिकारी हरकत में आए। बोर्ड की सचिव मधु नेगी चौहान ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में आया है। जांच कराई जाएगी कि इन साइकिलों की खरीद कब हुई और वितरण क्यों नहीं हो पाया। इसके लिए उच्चस्तर से मार्गदर्शन भी मांगा गया है। श्रम मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड ने साइकिलों की आपूर्ति का कार्य भारत सरकार के उपक्रमों टीसीएल व आइटी को सौंपा है। ये काम ई-टेंडरिंहग के जरिए दिया गया। अनुबंध की शर्तों के मुताबिक गोदाम भी इन्हीं कंपनियों के हैं। पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना संक्रमण के चलते शिविरों का आयोजन नहीं हो सका है। इस कारण साइकिलों का वितरण संभव नहीं हो पाया। जब भी वितरण होगा, कंपनी अच्छी साइकिलें उपलब्ध कराएगी।

कांग्रेस ने लपका मुद्दा

साइकिलें खराब होने का वीडियो वायरल होते ही कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई। पछवादून जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष संजय किशोर ने कहा कि मंत्री और कर्मकार बोर्ड के चेयरमैन के बीच चल रहे विवाद का नुकसान गरीब श्रमिकों को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रम विभाग द्वारा श्रमिकों और जरूरतमंदों के लिए उपलब्ध कराए जाने वाली सामाग्री में भ्रष्टाचार की बू आ रही थी। लक्खनवाला में कबाड़ बनी साइकिलें देखकर यह बात साफ हो गई है। उन्होंने मांग की कि सरकार प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराए।

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