क्लास में पेन-पेंसिल शेयर करने पर प्रतिबंध,02 से खुल रहे स्कूलों के लिए जारी हुई गाइडलाइन

 


  उत्तराखंड में सोमवार सात अगस्त से कक्षा नौ से बारह तक की कक्षाएं शुरू होने को लेकर स्कूलों ने अपने स्तर से एसओपी जारी कर दी है। बच्चे पेन-पेंसिल आदि एक दूसरे से शेयर नहीं कर पाएंगे।पहले कक्षा छह से ऊपर की सभी क्लास दो अगस्त से ऑफलाइन शुरू होनी थी। शुक्रवार को देहरादून में शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में कक्षाएं संचालित किए जाने को लेकर पहले जारी कार्यक्रम में बदलाव किया गया। दो अगस्त से कक्षा नौ से बारह तक की क्लास शुरू होगी।  छठी से आठवीं तक की कक्षाएं सोलह अगस्त से शुरू होनी है। राजकीय इंटर कॉलेज की ओर से कॉलेज गेट पर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को चस्पा किया गया है।नौ से बारह तक की कक्षाएं चार घंटे चलेगी। छह से आठ तक तीन घंटे ही पढ़ाई होगी। अभिभावकों से सहमति पत्र लिया जाएगा। अगर ज्यादा बच्चे स्कूल आते हैं तो ऑड-ईवन फार्मूला लागू किया जाएगा। स्कूल खुलने, छुट्टी होने पर कक्षाओं को सेनेटाइज किया जाएगा। बिना मास्क के आने की अनुमति नहीं होगी। छात्र गर्म पानी की बोतल घर से लाएगा, स्कूल में गर्म पानी की व्यवस्था भोजन माता करेगी। विद्यार्थियों को अपने साथ छोटे सेनेटाइजर की बोतल रखनी होगी। ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन पढ़ाई भी जारी रहेगी। छात्र अपनी पेन, पेसिंल, कॉपी आदि दूसरे बच्चों के साथ साझा नहीं कर पाएंगे।

कई अभिभावक अभी नहीं सहमत

 
निजी से लेकर सरकारी स्कूलों तक ने कक्षा छह से स्कूल खोलने की तैयारी कर ली थी। लेकिन शाम को स्कूल खोलने के कार्यक्रम में बदलाव हो गया। हालांकि, अधिकांश अभिभावक अब भी बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं हैं। वह अभी कुछ समय और इंतजार करना चाहते हैं। कोविड की तीसरी लहर में बच्चों को खतरे की जो बात सामने आयी है, उससे अभिभावकों की चिंता बढ़ी है। स्कूली बच्चे अभी टीकाकरण के दायरे में नहीं आए हैं। ऐसे में कोविड से उनकी सुरक्षा की चिंता भी अभिभावकों को है। रुड़की स्कूल पैरेंट काउंसिल के अध्यक्ष दमन सरीन का कहना है कि अभी बच्चों के लिए कोविड से बचाव का टीका आना है। तीसरी लहर की बात कही जा रही है। ऐसे में अभी बच्चों को स्कूल भेजना उचित नहीं है। सीबीएसई से संबद्ध स्कूल एसोसिएशन के सचिव अभिषेक चंद्रा का कहना है कि स्कूल सरकार की ओर से जो गाइड लाइन जारी की गई है उसका पालन करने को तैयार हैं। बच्चों की सुरक्षा स्कूलों के लिए भी प्राथमिकता है। लेकिन यह भी समझने की बात है कि ऑनलाइन पढ़ाई कभी भी ऑफलाइन पढ़ाई का विकल्प नहीं है।

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