‘‘खाकी’’की छवि को ‘‘खाकी’’ लगा रही फलीता

चालान काटने में भी हो रहा खेल
देखें चालान की छायाप्रति
राज शेखर भट्ट/ देहरादून। पुलिस महकमा एक ऐसा महकमा है, जो कि समाज में नियमों को देखते हुये शांतिपूर्ण व्यवस्था कायम करता है। पुलिस का विभाग ही एक ऐसा विभाग है, जो समता, समानता, कर्तव्यनिष्ठता और वीरता के साथ लोगों की सेवा का कार्य करता है। मैं यह नहीं चाहूंगा कि विभाग के अंदर भी अराजकता का महौल हो। जबकि सर्वविदित है कि जो नौकरी करता है, तो नौकर ही कहलायेगा। भले ही वह मैं हूं या कोई भी निजी अथवा सरकारी कर्मचारी हो। हम तनख्वाह ले रहे हैं तो कार्य भी करना है। जनता से सेवा का कर ले रहे हैं तो सेवा ही तो की जाएगी। बहारहाल, जब सेवा का कार्य या अपनी नौकरी का कार्य अथवा व्यवसाय किया जाएगा तो सर्वव्यापक भी होगा और उसके बारे में पूर्ण जानकारी भी दी जाएगी। हालांकि, उत्तराखण्ड पुलिस मित्र पुलिस है। सभी कर्मचारियों के द्वारा अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन भी सलीके से किया जाता है। मित्र पुलिस के द्वारा किये गये कार्य सर्वव्यापक होते हैं, जिससे कि पता चले कि ‘‘कौन सा कार्य कब किया गया है, कैसे किया गया है। कार्य करने की दिनांक क्या थी और पक्ष-विपक्ष, अभियुक्त, आरोपी और शमनकर्ता कौन था। लेकिन मस्तिष्क में अजीब सी तरंगें तब उठती हैं, जब किसी को दण्ड दिया गया हो और वह आरोपी अपने किसी भी अन्य व्यक्ति को दण्ड के बारे न बता पा रहा हो। जब मित्र पुलिस द्वारा किसी का चालान किया गया हो और यही पता न चले कि चालान कब और क्यों किया गया है तो यह तो पुलिस महकमे में एक मिसाल कही जा सकती है। खैर, ऐसा ही एक मामला पुलिस महकमे में सामने आया तो मन में गुदगुदी होने लगी। फिर सोचना पड़ा कि क्या पुलिस विभाग ने मनोरंजन का कार्य भी शुरू कर दिया है, या पुलिस विभाग नासमझ, कम पढ़े-लिखे लोग ही चालाना काटते हैं, या पुलिस चालान से संबंधित लेखनी को, बातों को, दण्डों को, नियमों को और पैसे को गुप्त रखती है और किसी को बताना नहीं चाहती है। बात करें चालान की तो सभी पाठकों को एक रोचक मुद्दा मिल जाएगा, क्योंकि हुआ ही कुछ ऐसा है। हमारी याद्दश्त के अनुसार, एक युवक का दिनांक 3 जून 2021 को रात्रि 11 बजकर 30 मिनट के समय चालान काटा गया। मित्रों हमारी याद्दाश्त के अनुसार बतायी गयी यह दिनांक सही है, क्योंकि उस दिन जन्म दिन की पार्टी थी। अब बात करते है पुलिस महकमे की, तो सोचने की जरूरत है कि ऐसे चालान कभी-कभी कटते हैं या सारे चालान ऐसे ही काटने की रीत है, जो बरसों से चली आ रही है। क्योंकि 03 जून 2021 को काटे गये चालान को देखकर तो ऐसा ही लगता है। जो कि चालान की छायाप्रति देखकर समझ में आता है और वह प्रतिलिपि खबर के साथ नीचे संलग्न की गयी है। चालान की छायाप्रति कहती है कि चालान किसी अंकित नाम के युवा का काटा गया है, जिनके पिताजी का नाम शिवचरण है और जो आर्यनगर के निवासी हैं। अब पुलिस की पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो शमन किस स्थान पर हुआ है, यह चालान में केवल काॅलम है, लेकिन इसको भरना आप अनिवार्य नहीं समझते। हमारी याद्दाश्त के अनुसार चालान 03 जून 2021 को काटा गया और छायाप्रति बताती है कि पुलिस के अनुसार चालान 02 तारीख को काटा गया है। मान लिया पुलिस ही सही है, चालान 02 तारीख को ही कटा है, लेकिन वो 02 तारीख कब की, जनवरी की अगस्त की, वर्ष 2010 की या 2015 की। चालान में दिनांक भरकर कृपा तो आपने कर ही दी, लेकिन कम से कम पूरा तो भर दिया होता। घर वाले भी पूछ रहे हैं कि ‘बेटा ये चालान तो मुझे जून 2021 का नहीं लगता। जब भरना नहीं है साहब तो चालन के इन कागजों में से काॅलम हटा लीजिए। न तो काटे गये चालान में दिनांक सही है, न आरोपी के हस्ताक्षर हैं और शमनकर्ता के हस्ताक्षर वाले स्थान पर क्या लिखा है, वो भी समझ से परे है। चालान काटने से पहले बहस खूब करते हो, रौबदार आवाज में बातें करते हो और कभी-कभी आरोपी के ऊपर हाथ भी उठाते हो। चालान भी काटते हो, पैसा भी लेते हो और बदसलूकी से आरोपी को घर भेज देते हो। कम से कम जिस चीज का पैसा ले रहे हो वो काम, अपनी ड्यूटी तो ढंग से निभाओ। चालान के लिए बनाये गये पत्र को तो पूरा भर लो या अपने मिजाज बदलने का शौक नहीं है तो क्यों पुलिस विभाग में आ गये। अंत में केवल इतना कहना चाहूंगा कि मेरे द्वारा यह समाचार एक व्यंग्यात्मक रूप में प्रस्तुत करना, पुलिस महकमे का मजाक उड़ाना नहीं बल्कि उसके अंदर की कमियों को उजागर करने से संबंधित है। एक सकारात्मक लहर तब बहेगी जब पुलिस के सभी अधिकारी और कर्मचारी भी इंसानियत को प्राथमिकता देते हुये अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें। जहां हड़क है, जहां हाथ उठाना है, जहां लाठी चलानी हो, वहां भी अपनी ड्यूटी निभायें, लेकिन पुलिस महकमे को बदनाम न करें। महकमे को अराजमता के आगोश में न ले जायें।

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