सीएचसी और पीएचसी पर नहीं मिल रहा इलाज




बदायूं /  कोरोना काल में जिले की चिकित्सा सुविधाएं बदहाल हैं। गांवों में सीएचसी और पीएचसी पर ओपीडी सेवाएं बंद चल रही हैं। इससे मरीजों को यहां इलाज नहीं मिल रहा है। इलाज के नाम पर मरीजों को रेफरल स्लिप थमा दी जा रही है। वहीं, कई पीएचसी व सीएचसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर और चिकित्सक तक का अभाव है। शायद इसी वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गांवों में कोरोना संक्रमण फैलने व चिकित्सा सुविधाओं की कमी पर चिता जाहिर की है। गांवों के सरकारी अस्तपालों में वेंटीलेटर, इक्यूबेटर, रेडिएंट वार्मर सुविधाएं तक नहीं है। डायलिसिस, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, आपरेशन थियेटर आदि के संसाधनों का अभाव है।

जिले में मेडिकल कालेज, जिला पुरूष और महिला अस्पताल के अलावा पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 43 नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इसके अलावा 292 सब सेंटर व 30 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर है। वहीं, पांच नगरीय स्वास्थ्य केंद्र और दो अतिरिक्त नगरीय सीएचसी ककराला और सैदपुर है। सीएमओ के अधीन इन स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों के 193 पद है, जिसमें 80 डाक्टर तैनात है। इन सबके बीच इन स्वास्थ्य केंद्रों पर वरिष्ठ सर्जन, वरिष्ठ फीजिशियन, हड्डी रोग विशेषज्ञ, हृदय रोग विशेषज्ञ, डेंटल सर्जन की उपलब्धता नहीं है। इन केंद्रों पर जो दो-चार एमबीबीएस डाक्टर है वह जिला अस्पताल और महिला से अटैच है। कोरोना संक्रमण काल में बिसौली, घटपुरी, रुदायन और समरेर को कोविड अस्पताल बनाने की तैयारी है, जिसमें से समरेर का कोविड अस्पताल लगभग तैयार है। यहां बुधवार से इलाज शुरू किए जाने का दावा है। कछला के स्वास्थ्य केंद्र पर धूल फांक रहे बेड

संसू, कछला : नगर पंचायत कछला के स्वास्थ्य केंद्र पर 25 गांवों के मरीज पहुंचते हैं, लेकिन स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। यहां डा. नदारद मिलते है। मरीजों को इलाज के लिए इधर से उधर भटकना पड़ता है। इसको लेकर कछला वासियों ने सांसद, विधायक से लेकर डीएम एवं सीएमओ से शिकायत की है। लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है। यहां मरीजों के लिए बेड की तो व्यवस्था है लेकिन सभी बेड धूल फांक रहे है। केंद्र प्रभारी डा. महेश प्रताप सिंह ने बताया, वह स्वयं इस समय कोरोना पाजिटिव है। वह मथुरा में स्वयं का इलाज करवा रहे है। 

सीएचसी पर है संसाधनों का अभाव

संसूु, ककराला : नगर की सीएचसी को बुनियादी सुविधाओं से हमेशा से वंचित रखा गया है। हैरत की बात यह है कि सीएचसी होते हुए भी पीएचसी को रिपोर्ट की जाती है। स्वास्थ्य केंद्र पर डाक्टर, दवा के साथ साथ उपकरणों की किल्लत हमेशा बनी रहती है। यहां डाक्टर, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, कोल्डचेन आदि का अभाव है। कोरोना को देखते हुए भी टीकाकरण केंद्र न बनाए जाने से वैक्सीनेशन की रफ्तार भी धीमी है। नगर में करीब एक दर्जन ऐसे लोगों की मौत हुई थी। जिनमें कोरोना के लक्षण मिले थे। लेकिन, जांच के अभाव में उनकी रिपोर्ट साफ नहीं हो सकी। 

 

 Sources: जेएनएन

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