पूर्व सीएम त्रिवेंद्र व विस अध्यक्ष ने एम्स पहुंचकर पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्व.बची सिंह को दी श्रद्धांजलि

  


 भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्व. बची सिंह रावत का रविवार को निधन हो गया। साोमवार को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, विस अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और मंत्री धन सिंह ने ऋषिकेश एम्स एम्स पहुंचकर स्व. बची सिंह रावत को श्रद्धांजलि अर्पित की।शनिवार को स्वाथ्य खराब होने पर उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। उनके निधन पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शोक जताया है। शनिवार दोपहर करीब पौने दो बजे पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री 72 वर्षीय बची सिंह रावत को एयर एंबुलेंस के जरिए हल्द्वानी से एम्स ऋषिकेश लाया गया था। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में बची सिंह रावत को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी और उनके फेफड़ों में संक्रमण की भी शिकायत थी।इमरजेंसी में आवश्यक जांच के बाद उन्हें वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि रविवार रात्रि करीब पौने नौ बजे उन्होंने एम्स में अंतिम सांस ली। बची सिंह रावत भाजपा की पिछली सरकारों में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री और केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री रह चुके हैं। वह मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के पाली गांव का रहने वाले थे।

वर्तमान में वह परिवार सहित हल्द्वानी में रह रहे थे।

बची दा का राजनीतिक जीवन

बची दा 1982 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए और 1993 में दोबारा विधायक का चुनाव लड़ा और जीत कर आए। अगस्त 1992 में 4 महीने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री बनाए गए। 1996 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। 1996 से 1997 तक संसद की कई कमेटी के सदस्य रहे।1998 में दोबारा लोकसभा चुनाव कराए गए। 1998 से 99 तक फिर महत्वपूर्ण कमेटियों जैसे सूचना प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार रहे। 1999 में दोबारा लोकसभा चुनाव हुए और तीसरी बार रिकॉर्ड मार्जिन से सांसद चुनकर आए। 1999 में पहली बार केंद्र सरकार में रक्षा राज्य मंत्री का पद संभाला और फिर 1999 से 2004 तक निरंतर विज्ञान और तकनीकी केंद्रीय राज्य मंत्री रहे।2004 से 2006 में फिर से लोकसभा सांसद बने, लेकिन इस बार विपक्ष में बैठना पड़ा। 2007 उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। इनके नेतृत्व में पार्टी ने विस चुनाव में बहुत से चुनाव जीता। 2009 तक इस पद पर बने रहे।

खास बातें:

- उत्तर प्रदेश से दो बार विधायक रहे, लेकिन उत्तराखंड विधानसभा चुनाव कभी नहीं लड़ा।

- उत्तराखंड से एक ही सीट से लगातार चार बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बची दा के नाम है। 

- 2012 उत्तराखंड चुनाव में भाजपा प्लानिंग कमेटी के चेयरमैन रहे और मेनिफेस्टो बनाने में अहम भूमिका निभाई।

- 15वें लोकसभा चुनाव में नैनीताल को सीट बनाना पड़ा, क्योंकि उस समय अल्मोड़ा सीट आरक्षित हो गई थी और 2014 में पार्टी से नाराज होकर सभी पदों से इस्तीफा भी दे दिया था। लेकिन बाद में भारतीय जनता पार्टी में वापस आये और  वर्तमान में राज्य में संगठन स्तर पर कार्यरत थे।

- बची दा बेहद सौम्य और सरल व्यक्ति के तौर पर जाने जाते थे।


Sources:Amarujala


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