आईपीएस अजय पाल शर्मा के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज, गिरफ्तारी संभव

 



लखनऊ/चर्चित आईपीएस अजय पाल शर्मा के खिलाफ हजरतगंज थाने में शासन के निर्देश पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह एफआईआर खुद को अजय पाल शर्मा की पत्नी बताने वाली दीप्ति शर्मा के बयान के आधार पर दर्ज की गई है। अजय पाल व दो अन्य लोगों पर गबन, साक्ष्यों को नष्ट करने और साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं। शासन ने इस मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी है।जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली दीप्ति शर्मा के बयान के आधार पर अजय पाल शर्मा के अलावा चंदन राय और वरिष्ठ उप निरीक्षक विजय यादव और दीप्ति शर्मा को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को आरोपी बनाया गया है। अजय पाल शर्मा उन पांच आईपीएस अधिकारियों में शामिल हैं जिन पर नोएडा के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे।इस मामले की जांच मौजूदा डीजीपी (तत्कालीन डीजी विजिलेंस) के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने की थी और हाल ही में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है। सूत्रों का कहना है कि उक्त रिपोर्ट में ही दीप्ति शर्मा का बयान भी शामिल है, जिसके आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई है।मूल रूप से गायिजाबाद की रहने वाली दीप्ति शर्मा ने अपने बयान में बताया था कि वह अजय पाल शर्मा की पत्नी है। 2016 में अजय पाल जब गाजियाबाद में एसपी सिटी के पद पर तैनात थे, उस समय अजय पाल शर्मा से उनकी शादी हुई थी, जिसे गाजियाबाद में रजिस्टर्ड भी कराया गया था। बाद में अजय पाल शर्मा के किसी अन्य लड़की के साथ अफेयर के चलते उसक रिश्ते खराब हो गए। इस संबंध में उन्होंने महिला आयोग, पुलिस विभाग, हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायती पत्रों के साथ उन्होंने शादी के सुबूत भी लगाए थे। उनका कहना है कि 18 सितंबर 2019 को रामपुर जिले के सिविल लाइन थाने के बृजेश राना, मथुरा व कुछ अन्य लोग घर पहुंचे। घर से लैपटॉपए डीवीआर और अन्य सामान उठा ले गए। इसकी शिकायत उन्होंने डीआईजी रेंज मेरठ से भी की थी। दीप्ती ने अपने बयान में कहा है कि उसकी 11 मार्च 2019 को अजयपाल शर्मा से फोन पर झगड़ा हुआ था। आरोप है कि इसके बाद अजय पाल के इशारे पर गोविंदपुरम निवासी हरेन्द्र कुमार ने 29 मार्च को साहिबाबाद थाने में धोखाधड़ी की एक एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस मामले में दीप्ति को आरोपी बनाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। आरोप है कि गिरफ्तारी के दौरान दीप्ति के बैग में पांच मोबाइल फोन थे। उनमें डॉ. अजयपाल के खिलाफ  काफी सबूत थे। सभी मोबाइल उपनिरीक्षक विजय यादव ने ले लिए थे। विजय ने बाद में यह मोबाइल अजय पाल के दोस्त चंदन राय को दे दिए। जिसने सारे साक्ष्य मिटा दिए।दीप्ति ने अपने बयान में बताया है कि उन्हें परेशान करने की नियत से जेल में रहने के दौरान उनके ऊपर बुलंदशहर के सिकंदराबाद थाना, गाजियाबाद के सिहानी गेट, रामपुर के सिविल लाइन समेत कई जगह धोखाधड़ी व आईटी एक्ट की धाराओं में मुकदमे दर्ज कर लिए गए। ताकि वह उनके खिलाफ बयान न दे सके। गृह विभाग के विशेष सचिव अनिल कुमार के निर्देश पर हजरतगंज थाने में गबन की धारा 409, साक्ष्यों को नष्ट करने की धारा 201 और साजिश रचने की धारा 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।


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